नई दिल्लीः केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा है कि जिस किसी को भी नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर आपत्ति है, वह उससे बात करने के लिए तैयार हैं. शाह ने कहा कि आने वाले लोगों को तीन दिन के भीतर समय दिया जाएगा.
मुझे आज तक कोई ऐसा इंसान नहीं मिला जो समझा सके कि सीएए के किस प्रावधान के तहत उन्हें यह ऐंटी मुस्लिम लगता है. सीएए के खिलाफ देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर शाह ने कहा कि इसमें यह भी देखना जरूरी है कि ये प्रदर्शन किनके द्वारा और किस स्तर पर हो रहा है.
यह विरोध केवल बीजेपी के नाम पर विरोध हो रहा है. शाह ने कहा कि अंदेशा के नाम पर आंदोलन नहीं होता है, जब एनआरसी आएगा तब इन्हें विरोध करना चाहिए था. अमित शाह ने स्पष्ट किया कि पिछली कांग्रेस और जनता पार्टी की सरकारों ने हिंदूओं और सिखों को लॉन्ग टर्म वीजा दे चुकी है.
इसकी शुरुआत 30 मार्च 1964 से ही शुरू हो चुकी थी, तब बीजेपी सत्ता में नहीं थी. यही काम कांग्रेस करती है तो वह सेक्युलर और बीजेपी कानून बनाती है तो गलत हो जाती है. सीएए आने के बाद पाकिस्तान से आए 74 अल्पंख्यकों को राजस्थान के जोधपुर, जैसलमेर के कलेक्टर ने नागरिकता दी है.
वहां कांग्रेस पार्टी की सरकार है। शाह ने कहा कि हमारा मन शुद्ध है, हमने कभी भी धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं किया। सीएए में कोई ऐसा प्रोविजन नहीं है जो मुस्लिमों की नागरिकता ले ले। इस देश का विभाजन कांग्रेस पार्टी ने धर्म के आधार पर किया.
शाह ने कहा कि महात्मा गांधी ने 12 जुलाई 1947 को कहा था कि जिन लोगों को पाकिस्तान से भगाया गया उन्हें पता होना चाहिए की वे पूर्ण भारत के नागरिक हैं. उन्हें ये महसूस करना चाहिए कि वह भारत की सेवा करने के लिए पैदा हुए थे, इसलिए भारत उन्हें स्वीकारने के लिए तैयार है.
अमित शाह ने कहा कि सीएए को लेकर जिसे भी आपत्ति है वह हमारे पास आएं, हम तीन दिनों के भीतर समय देंगे. उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का सबको अधिकार है. उन्हें मेरा समर्थन है. जामिया इलाके में पुलिस ने उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई की जो बस जला रहे थे, लोगों की स्कूटी आग के हवाले कर रहे थे.
जेएनयू में अलग हालात थे, वहां फीस वृद्धि के खिलाफ प्रदर्शन था, इसलिए दिल्ली पुलिस वहां से दूर रही. अमित शाह ने स्पष्ट किया कि वह लोकसभा में कह चुके हैं कि अभी एनआरसी पर कोई निर्णय नहीं लिया है. उन्होंने बताया कि एक कमिटी के अध्यक्ष प्रणब मुखर्जी थे, इसमें कपिल सिब्बल, मोतीलाल वोरा, अंबिका सोनी और लालू प्रसाद यादव सदस्य थे.
इस संसदीय समिति की 107वीं रिपोर्ट में कहा गया था, ‘इस रिपोर्ट में समिति ने भारत के प्रत्येक नागरिकों का अनिवार्य रूप से पंजीकरण करेगी और उन्हें पहचान पत्र जारी करने का मान्यता देगी और उनका रजिस्टर बनाएगी. जब हम एनआरसी पर निर्णय लेंगे तब सबको पता चल जाएगा.
सीएए पर सवाल उठाने वालों से मैं पूछना चाहता हूं कि जिस पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की 30 फीसदी आबादी घटकर तीन फीसदी कैसे हो गई, ये लोग कहां चले गए. ये लोग या तो मार दिए गए, या धर्म परिवर्तन करा दिया गया या तो वे भारत की शरण में आ गए.
जबकि हमारे यहां अल्पसंख्यकों की जनसंख्या घटी नहीं वृद्धि हुई है. जब हमअल्पसंख्यक की बात करते हैं तो हमें यह समझने की जरूरत है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश घोषित मुस्लिम देश हैं, ऐसे में वहां अल्पसंख्यक में मुसलमान कैसे हो सकता है.