राज्यसभा में सोमवार को आधार संशोधन बिल 2019 (The Aadhar and Other Laws (Amendment) Bill) पास हो गया है. संशोधित कानून में बैंक में खाता खोलने, मोबाइल फोन का सिम लेने के लिए आधार को स्वैच्छिक बनाया गया है. निजी कंपनी को आधार का कोर डाटा हासिल करने की इजाजत नहीं है, अगर कोई ऐसा करता है तो उसके लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान है. बता दें कि 4 जुलाई को आधार संशोधन बिल 2019 लोकसभा में पास हुआ था.
टेलिकॉम कंपनियां आधार का इस्तेमाल ग्राहकों की सहमति पर ही कर सकती हैं. साथ ही धारकों को वैकल्पिक व्यवस्था दी गई है, जिसमें वे पासपोर्ट, राशन कार्ड की कॉपी दे सकते हैं. देश के 130 करोड़ लोगों में से 123 करोड़ लोगों ने आधार को स्वीकार किया है. आधार के जरिए डायरेक्ट ट्रांसफर के कारण देश को 90 हजार करोड़ रुपये का फायदा हुआ है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह विधेयक सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक पारित किया गया है. सरकार की ओर से जारी जानकारी में बताया गया है कि इस फैसले के आधार पर अब रेग्युलेटर UIDAI को लोगों के हित में फैसले लेने और आधार के गलत प्रयोग को रोकने में मदद मिलेगी.
संसद की ओर से बनाए गए कानून के तहत कुछ मामलों में अपनी पहचान के लिए इसे पेश करना जरूरी होगा.
बैंक खाता खोलने के लिए आधार दिखाना जरूरी नहीं होगा और मोबाइल सिम के लिए आधार देना अनिवार्य नहीं होगा. बारह अंकों के वास्तविक आधार नंबर की बजाय एक वर्चुअल आइडेंटिटी से भी अपनी पहचान प्रमाणित कर सकेंगे.
किसी भी व्यक्ति को आधार के जरिये अपनी पहचान प्रमाणित करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा.
बच्चों को भी 18 साल के बाद अपना आधार नंबर रद्द कराने का अधिकार है.
केंद्र और राज्य सरकार सिर्फ वहीं पहचान प्रमाणित करने के लिए आधार जरूरी कर सकती है, जहां अथॉरिटी द्वारा निर्धारित सुरक्षा संबंधी चिंताएं हों. यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया फंड के गठन का प्रस्ताव रखा गया है.
आधार एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर 1 करोड़ रुपये तक की सिविल पेनल्टी लगाई जा सकती है.