रांचीः झारखंड में वित्तीय संकट के साथ मंगलवार से बालू उठाव में लगे 10 हजार हाइवा, ट्रक और ट्रैक्टर के पहिये थम गए. राज्य में हर दिन लाखों सीएफटी बालू का उठाव होता है. बालू घाट लेने वालों की मनमानी के कारण बालू ट्रक एसोसिश ने बालू उठाव नहीं करने का निर्णय लिया है.
एसोसिएशन के महासचिव मोईज अख्तर ने बताया किसी भी बालू घाट में कांटा मशीन नहीं है. वाहनों में 800 सीएफटी बालू लोड कर 200 सीएफटी का ही चालान काटा जा रहा है. राज्य में 632 बालू घाट हैं. लेकिन अब तक की स्थिति यह है कि कोई भी बड़े प्रोजेक्ट के लिये राशि उपलब्ध नहीं है. ठेकेदारों और आपूर्तिकर्ताओं को पिछले तीन माह से कोई भुगतान नहीं हुआ है.
10 हजार करोड़ के प्रोजेक्टों की रफ्तार धीमी-
राज्य में चल रहे 10 हजार करोड़ से भी अधिक प्रोजेक्टों की रफ्तार धीमी हो गई है. इसमें पथ विभाग का 5000 करोड़ के प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. डीपीआर बनने के बावजूद राशि के अभाव में बोकारो एक्सप्रेस-वे का प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में चला गया. इसी तरह आईएल एंड एफएस को लगभग 4000 करोड़ का काम दिया गया है.
देनदारी बंद होने के कारण प्रोजेक्टों की रफ्तार भी धीमी हो गई है. ठेकेदारों और आपूर्तिकर्ताओं का भुगतान लंबित होने के कारण सड़क, बिजली, पानी सहित अन्य आधारभूत संरचनाओं का काम लंबित हो गया है.