नई दिल्लीः नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देश में जगह-जगह हो रहे विरोध प्रदर्शन का कांग्रेस जहां खुलेआम समर्थन कर रही है, वहीं शिवसेना ने स्पष्ट तौर से कहा कि वह इस कानून के खिलाफ नहीं है.
यूं तो महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार चला रही है. ऐसे में स्वाभाविक है कि तीनों दलों के बीच आपसी सामंजस्य है तभी यह सरकार चल रही है. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की शुक्रवार को दिल्ली में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस को सुनकर ऐसा लगा कि शिवसेना हर मुद्दे पर कांग्रेस के साथ नहीं है.
उद्धव की यह प्रेस कांफ्रेंस इसलिए खास है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे पत्रकारों से मुखातिब हुए. सीएम और शिवसेना प्रमुख उद्धव से जब पूछा गया कि कांग्रेस सीएए का विरोध कर रही है तो उद्धव इस सवाल पर गोलमोल जवाब देते दिखे.
उद्धव ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के साथ सीएए, एनपीआर, एनआरसी सारी बातों पर चर्चा हुई. इन सारे बिन्दुओं पर मैंने सामना में अपनी भूमिका स्पष्ट कर दी है. सीएए को लेकर किसी को डरने की आवश्यकता नहीं है. यह कानून किसी को देश से निकालने के लिए नहीं है.
अपने पड़ोसी देश में हिंदू पीड़ित हैं, उन्हें नागरिकता देने के लिए यह कानून है. सीएए किसी की नागरिकता नहीं लेगा. उद्धव ने कहा कि एनआरसी को लेकर सरकार संसद में कह चुकी है कि वह इसे नहीं लाने जा रही है. जहां तक असम की बात है तो वहां जो कुछ भी चल रहा है वह सबको पता है.
उन्होंने कहा कि जहां तक जनगणना की बात है तो यह तो हर 10 साल पर होता ही है. मैंने अपने राज्य के सारे नागरिकों को आश्वस्त किया है कि किसी का अधिकार छिनने नहीं दूंगा. स्पष्ट है कि सीएए से किसी को डरने की जरूरत नहीं है.
सीएम उद्धव ने कहा कि एनपीआर में भी किसी को घर से बाहर निकालने वाला कानून नहीं लाया जाने वाला है. इस कानून के आने पर अगर लगा कि यह खतरनाक है तो हम इसपर आपत्ति करेंगे. सीएए के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग में जमा लोगों को कौन भड़का रहा है, इस सवाल पर उद्धव ने कहा कि वे दिल्ली में नहीं रहते हैं, इसलिए नहीं जानते हैं.
जब उनसे पत्रकार ने पूछा कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह, मणिशंकर अय्यर जैसे लोग शाहीन बाग जाकर प्रदर्शनकारियों का समर्थन कर चुके हैं तो उद्धव ने कहा कि जिन्हें भी इस कानून को लेकर कोई कंफ्यूजन है वे बिंदुवार इसे पढ़ें. उद्धव से जब पूछा गया कि वह सीएए पर कांग्रेस को क्या समझाएंगे? इस पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस के साथ हमारी बातचीत है, इसलिए महाराष्ट्र में शांति है.
इससे पहले कयास लगाए जा रहे थे कि कांग्रेस और राकांपा एनपीआर और सीएए पर मुख्यमंत्री के रुख को लेकर नाराज हैं. ठाकरे ने कहा, ‘गठबंधन सरकार में शामिल सहयोगी दलों के बीच कोई टकराव नहीं है. हम पांच साल सरकार चलाएंगे. यहां आपको बता दें कि मुख्यमंत्री बनने के बाद उद्धव ठाकरे ने पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है.
बीजेपी कहती रही है कि महाराष्ट्र चुनाव का रिजल्ट आने के बाद शिवसेना के किसी भी नेता ने बीजेपी के साथ बातचीत नहीं की. बिना बातचीत के ही शिवसेना ने गठबंधन से अलग होकर कांग्रेस और एनसीपी से हाथ मिला लिया है.
सरकार बनने के करीब तीन महीने बाद पहली बार पीएम मोदी और सीएम उद्धव की इस तरह से मुलाकात हुई है. हालांकि पुणे में दोनों नेताओं के बीच गृहमंत्रालय के एक कार्यक्रम में मुलाकात हुई थी, लेकिन उस दौरान दोनों की बातचीत नहीं हुई थी.
उद्धव ठाकरे की सरकार में मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण कई बार कह चुके हैं कि जबतक उनकी पार्टी सरकार में है तब तक महाराष्ट्र में सीएए लागू नहीं होने देंगे. अशोक चव्हाण ने कहा, ‘महाराष्ट्र में तीन दलों का गठबंधन है.
कांग्रेस सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है. ये देशहित में नहीं है. इन तीनों मुद्दों पर शिवसेना का रुख साफ नहीं है. अगर इसमें कोई विवाद है तो ‘महाराष्ट्र कॉर्डिनेशन कमेटी’ जिसमें तीनों दलों के नेता हैं, इसपर चर्चा करेंगे और मसले को हल करेंगे.’
इतना ही नहीं अशोक चव्हाण ये तक कह चुके हैं कि उन्होंने मुस्लिमों से पूछकर ही सरकार में उद्धव का समर्थन किया है. उन्होंने कहा था कि मुस्लिम बीजेपी को रोकना चाहते हैं, इसलिए कांग्रेस ने शिवसेना को सपोर्ट कर बीजेपी को सत्ता में आने से रोका है.
अब देखना दिलचस्प होगा कि पीएम मोदी से मुलाकात के बाद सीएम उद्धव ने जिस तरह से सीएए का समर्थन किया है, उसके बाद कांग्रेस इसपर क्या रुख अपनाती है।