रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह बजट हमारी सरकार के गरीबोन्मुखी प्राथमिकता और सोच को स्पष्ट करती है. हमने अपनी प्राथमिकतायें तय कर राज्य की जनता के सामने रख दी है. हमने शासन के रथ को झोपड़ियों की ओर मोड़ दिया है. कोई गरीब भूखा नहीं रहे, कोई लाईलाज न मरे. किसी गरीब का बच्चा अब बकरी न चराए, वो स्कूल जाए. हर इंसान को रहने के लिए एक छत हो और शरीर पर वस्त्र हो. यही हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है.
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त किसानों को खुशहाल बनाने और युवाओं के अरमानों को पंख देने के लिए भी इस बजट में कुछ कदम उठाये गए हैं. यह इस मायने में एक क्रांतिकारी बजट है कि इसके केन्द्र में गरीब, किसान और राज्य का बेरोजगार युवा है. अभी तक इस राज्य में जो कुछ भी हुआ है वो लोक-लाज से हटकर हुआ है. जिस राज्य में बेरोजगारों की बड़ी फौज हो वहां 400 करोड़ का विधानसभा, 600 करोड़ का हाईकोर्ट भवन और 1700 करोड़ का सचिवालय बनें, ये बातें सही नहीं लगती है.
लगता है कि इस लोकतंत्र में लोक और तंत्र में संवाद खत्म हो गया है. इस बजट में तंत्र को जनता के प्रति जिम्मेदार बनाने का प्रयास किया गया. राज्य में लगभग हर नागरिक को अब 5 लाख रुपये के स्वास्थ्य बीमा की सुविधा प्रदान की जाएगी.
लीवर, किडनी और कैंसर जैसी अभिशाप तुल्य बीमारियों के लिए अब सारा खर्च सरकार उठाएगी. यह व्यवस्था संभवतः पूरे देश में कहीं नहीं है. सबसे गरीब राज्यों में शुमार होने वाले झारखंड ने पूरे देश में सरकार के मानवीय चेहरे को बेहद मजबूती से दुनिया के सामने रखा है.
मुख्य योजना
- गरीबों को आवास निर्माण हेतु अब 50,000 हजार रुपये अधिक मिलेंगे.
- 10 रुपये में साल में दो बार सब गरीबों को धोती, साड़ी और लूंगी मिलेगी.
- 50 वर्ष से ऊपर के सभी लोग, सभी विधवाओं को राशन उपलब्ध कराया जायेगा.
- सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले हर जाति-धर्म के बच्चों को छात्रवृत्ति मिलेगी.
- 100 यूनिट तक बिजली खपत के लिए किसी को भी कोई बिल नहीं देना होगा.
- सभी जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराने के लिए 377 दाल-भात केन्द्र खोले जायेंगे.
- बेरोजगार स्नातक (BA) को 5000 रुपये और MA को 7000 रुपये प्रतिवर्ष सहयोग राशि मिलेगी.
- किसानों के कर्ज माफ होंगे. पहले चरण में 50,000 रूपये तक कृषि ऋण माफ किए जायेंगे.
- दूरस्थ क्षेत्रों में डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए विशेष योजना चलायी जायेगी.
- जिला स्कूलों को उच्चस्तरीय विद्यालय के रूप में विकसित किया जायेगा.
- हर पंचायत में पांच चापाकल लगाने या कुंआ बनाने का लक्ष्य है, ताकि ग्रामीणों को सुलभता से पानी मिल सके.
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