नई दिल्ली: नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने मंगलवार को बताया कि देश के 115 पिछड़े (आकांक्षी) जिलों में विकास के लिए सरकार और केंद्रीय सरकारी कंपनियां (सीपीएसई) मिलकर मिशन मोड में काम करेंगी. ये जिले देश के समग्र विकास में बाधक हैं, जिस पर खास ध्यान दिया जाएगा.
कांत ने कहा कि निजी क्षेत्र की कंपनियां इन जिलों में निवेश के लिए नहीं जाती हैं, क्योंकि इनमें से कई भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण जगहों पर स्थित हैं. लिहाजा सरकार और सीपीएसई यहां मिलकर काम करेंगी.
उन्होंने कहा कि ये जिले पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं, जिसका असर पूरे देश के समग्र विकास पर दिखता है. हमारी कोशिश इन जिलों को गरीबी से बाहर निकालने की होगी.
नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि 5 जनवरी 2018 को आकांक्षी जिला कार्यक्रम (एडीपी) के लॉन्चिंग मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इन जिलों में तेज विकास का आह्वान किया था.
कांत ने कहा कि कंपनी सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के रूप में मिलने वाली राशि का इस्तेमाल इन जिलों में किया जाएगा. पिछले एक साल से सीपीएसई की ओर से मिलने वाली सीएसआर राशि का 60 फीसदी इन्हीं क्षेत्रों में खर्च किया जाता है.
अप्रैल 2018 से सितंबर 2019 के बीच सीपीएसई ने सीएसआर मद की 1,425 करोड़ राशि 112 आकांक्षी जिलों में खपाई है. नीति आयोग 10 दिनों के भीतर सीएसआर पोर्टल लॉन्च करेगा, जो इसमें मददगार साबित होगा.