फर्टिलाइजर की सब्सिडी को सीधे किसानों के बैंक के खाते में जमा कराने की तैयारी है। इसके लिए डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के दूसरे चरण की सरकार ने बुधवार को शुरुआत की है। डीबीटी के पहले चरण में जहां देश के शत प्रतिशत किसानों को सब्सिडी वाली फर्टिलाइजर मुहैया करा दी गई, वहीं दूसरे में किसानों के खाते में नगदी जमा कराने वाली योजना को अंजाम दिया जा सकेगा।डीबीटी 2.0 की शुरुआत करते हुए केंद्रीय केमिकल एंड फर्टिलाइजर मंत्री सदानंद गौड़ा ने कहा कि इससे योजना में जहां पारदर्शिता आएगी वहीं फर्टिलाइजर की आपूर्ति में सहूलियत हो जाएगी। उन्होंने बताया कि पहले चरण की खामियों को दूर करने की कोशिश की जाएगी। डीबीटी डैसबोर्ड का प्रावधान किया गया है, जिससे हर तरह की जानकारी को कभी भी प्राप्त किया जा सकता है। खाद की मांग, आपूर्ति व उपलब्धता को जांचा जा सकता है।
फर्टिलाइजर के उत्पादन, आयात और उसका भंडारण कहां और कितना किया गया है, उसकी जानकारी आन लाइन प्राप्त की जा सकती है। पॉस 3.0 मशीनों का प्रयोग किया जाएगा। इसके तहत इन आधुनिक मशीनों में उपभोक्ताओं यानी किसानों के आधार नंबर, उसके खेतों की मिट्टी जांच रिपोर्ट, सीजन के हिसाब से खाद की जरूरतों का ब्यौरा रहेगा। फर्टिलाइजर लेते समय मशीनें सारी जानकारी किसानों को देते हुए जरूरत वाली खाद के बारे में सुझाव भी देगी।
योजना में तीसरा सुधार यह किया गया है कि पॉस मशीनों के सॉफ्टवेयर को कंप्यूटर और लैपटॉप से जोड़ा जा सकता है। बुवाई सीजन से ठीक पहले खाद प्राप्त करने के लिए किसानों के बीच जबर्दस्त गहमागहमी रहती है। इससे बचाव के लिए कंप्यूटर का प्रयोग किया जा सकता है, जिसे सीधे मंत्रालय के वेबसाइट से जोड़ा जा सकता है।
किसानों के खाते में नगदी सब्सिडी जमा कराने वाली योजना को लागू करने के लिए नीति आयोग की एक विशेषज्ञ समिति वर्ष 2017 में ही गठित कर दी गई थी। उसकी सिफारिश के आधार पर ही इस दूसरे चरण की शुरुआत की गई है।