जमशेदपुर: साकची स्थित एमजीएम अस्पताल में एक बुजुर्ग अनिल दत्ता की मौत के बाद परिजन आपस में ही उलझ पड़े और अस्पताल में जमकर हंगामा खड़ा कर दिया. वैसे जिस व्यक्ति की मौत हुई है वे पिछले 10 सालों से एमजीएम अस्पताल के पीछे बने ओल्ड एज होम में रह रहे थे. आपको बता दें कि बुजुर्ग अनिल दत्ता जमशेदपुर के मानगो के रहने वाले थे और उनका भरा पूरा परिवार मानगो और काशीडीह में रहता है. लेकिन विडंबना देखिए उम्र के इस पड़ाव में उन्हें अपना अंतिम समय ओल्ड एज होम में बिताना पड़ा. यहां तक कि चार बेटे, एक बेटी और पत्नी ने भी बुजुर्ग अनिल दत्ता का साथ छोड़ दिया था.
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उधर लाचार बेबस बुजुर्ग को उनके भांजे ने ओल्ड एज होम में दाखिला करा दिया जहां भांजा- भांजी उन्हें देखने और मिलने आया- जाया करते थे. पिछले दिनों ओल्ड एज होम में ही उनका पैर टूट गया था. जिन्हें इलाज के लिए एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां शनिवार को उन्होंने दम तोड़ दिया. उधर अस्पताल प्रशासन ने मौत की सूचना ओल्ड एज होम को दी. ओल्ड एज होम ने बुजुर्ग का शव काशीडीह निवासी बेटे राजीव दत्ता को सौंप दिया, जिसका बुजुर्ग के भांजी ने जोरदार तरीके से विरोध किया.
भांजी दिव्या का कहना था, कि जीते जी भरा पूरा परिवार रहने के बाद भी उनके मामा को जीवन का अंतिम क्षण ओल्ड एज होम में बिताना पड़ा. ऐसे में संपत्ति हड़पने के लिए पुत्र राजीव दत्ता शव लेने यहां आया है, जो गलत है. हालांकि इस संबंध में शव लेने पहुंचे पुत्र राजीव दत्ता ने उन्हें ओल्ड एज होम में दाखिला कराने की बात कही और कहा वहां अपने पिता का देखभाल करने आते थे. अब सवाल यह उठता है कि चार बेटे, एक बेटी और पत्नी के रहते अगर एक बुजुर्ग का अंत ओल्ड एज होम में हो रहा है तो इसे क्या कहेंगे! आखिर परिवार किस दिन के लिए होता है.
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वैसे बुजुर्ग की मौत के बाद करीब 2 घंटा तक एमजीएम अस्पताल में ग्रेट फैमिली ड्रामा का गवाह बना. अंत में उनके पुत्र राजीव दत्ता अपने पिता के शव को ले गए. हालांकि इस संबंध में ओल्ड एज होम के केयर टेकर जय हिंद ने भी पुत्र राजीव दत्ता द्वारा ही बुजुर्गों को ओल्ड एज होम में दाखिला कराने की बात कही.