21 दिन के लॉकडाउन के दौरान यातायात व्यवस्था झारखंड में पूरी तरह ठप है लेकिन केंद्र सरकार द्वारा रेलवे माल ढुलाई का काम बाधित नहीं होने दिया जा रहा है. ऐसे में राज्य सरकार की जिम्मेवारी बनती है कि आवश्यक खाद्य सामग्रियों की आपूर्ति ग्रामीण स्तर तक पहुंचे.उक्त बातें झारखंड भाजपा के मीडिया पैनलिस्ट अजय राय ने हेमंत सरकार को सुझाव देते हुए कहीं.
उन्होंने कहा कि झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र के किसान जो राज्य में सब्जी उत्पादन कर दूसरे राज्यों को आपूर्ति करते हैं वह भी संकट की स्थिति में नजर आ रहे है. खासकर बेड़ो, सिल्ली, हजारीबाग के कुछ क्षेत्र जो सब्जी उत्पादन में सराहनीय योगदान करते हैं. उन किसानों की फसलें खेत में ही सूख रही है, ऐसी स्थिति में किसानों ने पटवन भी बंद कर दिया है और स्थिति ऐसी उत्पन्न हो गई है कि किसान अब अपनी फसल को खेत में ही मरता हुआ देखने को विवश है.
यह स्थिति आने वाले समय में किसानों को आर्थिक तंगी की ओर ले जा सकता है. ऐसे में सरकार की जिम्मेवारी बनती है कि अपने निचले स्तर के कर्मचारियों से वस्तुस्थिति की पूरी जानकारी लें और स्थिति को नियंत्रण में करने का प्रयास करें.
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राय ने सुझाव देते हुए कहा कि राज्य सरकार ट्रांसपोर्ट व्यवस्था को सुधार सकती है. इसमें उसे कहीं से भी अतिरिक्त संसाधन लगाने की जरूरत नहीं है. राज्य में चलने वाली सैकड़ों बस और ट्रक आज खड़ी है. इनमें ट्रक व बसों का अधिग्रहण कर सरकार दूरदराज के इलाकों से तैयार सब्जी की फसलों अथवा सब्जियों का जो उत्पादन हो चुका है उसे शहरों और दूसरे राज्यों में भेज सकती है.
इसमें बस सरकार की इच्छाशक्ति होनी चाहिये. साथ ही सरकार इन उपजों के लिए एक न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय कर सकती है. सरकार अगर इस दिशा में जल्द से जल्द कार्रवाई नहीं करती है तो मात्र दो-तीन दिनो में ही सारी फसलें नष्ट हो जाएंगी और एक बड़ा आर्थिक संकट राज्य पर मंडराने लगेगा.