नीता शेखर(समाजसेवी),
रांची: जी हां ये सच है कि परोपकार को सबसे बड़ा धन है. महर्षि व्यास ने भी परोपकार को 18 पुराणों का निचोड़ बताया है.
अपनी भलाई के बारे में सभी सोचते हैं लेकिन महान वे है जो दूसरों की भलाई के बारे में सोचते हैं. लेकिन मौजूदा वक्त पर देश एक गंभीर बीमारी से जूझ रहा है.
बल्कि मैं ये कहूंगी की जूझ बस नहीं रहा, इस बीमारी के खिलाफ मजबूती से लड़ भी रहा है. इस लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका अदा रहे हैं हमारे पुलिसकर्मी.
ये पुलिसकर्मी दिन-रात सड़कों पर महज आपकी-हमारी रक्षा नहीं कर रहे बल्कि कोई भी व्यक्ति भूखा न सोये इस बात का भी ख्याल रख रहे हैं.
बस यूं कहें कि तुझमें रब दिखता है… कोरोना वायरस ने जिंदगी की रफ्तार को थाम कर रख दिया है. लोग घरों पर कैद हैं.
इस हालात में अगर देखें तो सबसे ज्यादा बदलाव हमारे पुलिसकर्मियों पर आया है. वे एक योद्धा के रूप में सामने आए हैं.
अब तक पुलिस का जो चेहरा था, वह यह था कि लोगों को सुरक्षा देना और मुजरिमों को सजा दिलाना. पुलिस के तमाम अमानवीय चेहरों के वीडियो और तस्वीरें हमेशा आती रही हैं.
खाकी वर्दी पहने किसी भी इंसान को जब देखते थे तो उसके लिए सम्मान की भावना नहीं रहती थी, लेकिन पिछले एक हफ्ते से इसकी तस्वीर बदल गई है.
अचानक पुलिस को लोग अपना दोस्त अपना योद्धा समझने लगे. किसी भी समस्या के लिए सबसे पहले अगर कोई जेहन में आता है तो वो पुलिस ही होती है.
कोई बीमार हो तो तुरंत पुलिस को फोन लगाया जाता है, कोई भी भूखा हो तो तुरंत पुलिस याद आती है, कोई कहीं फंस गया तो पुलिस याद आ रही है, घर का राशन खत्म तो भी पुलिस.
हर परिस्थिति का समाना करने को तैयार हैं हमारे योद्धा
सबसे बड़ी बात यह है कि पहली बार बड़ें-बड़े पुलिस के अधिकारियों को भी सड़कों पर दिन-रात ड्यूटी पर तैनात देखा जा रहा है.
इस पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग के दौरान तमाम बातों को सिखाया जाता है. लेकिन वर्तमान में जो परिस्थिति है उससे निपटने के लिए कानून का डंडा नहीं, कानून का प्यार काम आ रहा है.
फिर भी कई ऐसे शख्स हैं जो नहीं मान रहे हैं. पुलिस के लोग बार-बार इनसे अपील करते हैं बिना आपातकालीन काम के घर से बाहर न निकलें, लेकिन ये लोग मानने के लिए तैयार ही नहीं है. ऐसे लोगों के लिए हमें सख्त रवैया अख्तियार करना पड़ता है.
मददगार बन कर सामने आए
पूरे देश से पुलिसकर्मियों की भावुक कर देने वाली तस्वीरें आ रही हैं. कहीं कोई बुजुर्गों की मदद करता नजर आ रहा है तो कहीं घर-घर जाकर खाने की सामग्री बांट रहा है.
पिछड़े इलाकों में पुलिस को ज्यादा मशक्कत करनी पड़ रही है. नमूने के तौर पर हमने उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा पिछड़े इलाके बुंदेलखंड के एक पुलिस अधिकारी से बात की.
बात करके हमने ये जानने की कोशिश की…कि आखिरकार ऐसी परिस्थिति का सामना वो कैसे करते हैं. सोशल मीडिया में ऐसे पुलिसकर्मियों की खूब सराहना की जा रही है.
पुलिसवालें लोगों को घरों से बाहर न निकलने की अपील कर रहे हैं. जो लोग नहीं मान रहे उनको तरह-तरह से मना रहे हैं.
अक्सर हमने जिन पुलिसकर्मियों की नकारात्मक छवि देखी है, वो देवदूत बनकर लोगों की मदद में जुटे हुए हैं. सोशल मीडिया में ऐसी तस्वीरों को लोग ट्वीट कर लिख रहे हैं कि तुझमें रब दिखता है….