रांची: राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में सभी मुखिया और शहरी क्षेत्रों में सभी वार्ड पार्षद को सरकार ने 10,000 (दस हज़ार) रूपये की राशि भेजा है जिससे वे कोरोना के संक्रमण काल में जरूरतमंदों के भोजन की व्यवस्था करेंगे. सरकार की इस पहल को विधायक सरयू राय ने सराहा है. उन्होंने कहा कि आपकी पहल सराहनीय है, इसके लिये आप धन्यवाद के पात्र हैं. इस संदर्भ में मैं आपका ध्यान झारखंड में सरकार द्वारा पहले से की गई राशन वितरण व्यवस्था के निम्नांकित प्रासंगिक पहलुओं की ओर आकृष्ट करना चाहता हूं. राज्य के 80 प्रतिशत नागरिक खाद्य सुरक्षा अधिनियम से आच्छादित हैं, ग्रामीण क्षेत्र में 86.4 प्रतिशत और शहरी क्षेत्र में 60.2 प्रतिशत. ये राशन कार्डधारी हैं. इनके लिये अनाज अनुदानित दर (चावल तीन रूपया प्रति किलोग्राम और गेंहू दो रूपया प्रति किलोग्राम) पर केन्द्र से मिलता है जिसे राज्य सरकार राशन कार्डधारियों को एक रूपए प्रति किलोग्राम की दर से मुहैया कराती है.
इसके अतिरिक्त अन्नपूर्णा योजना के तहत वैसे परिवार, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, पर वे जरूरतमंद हैं, के लिये 10 किलोग्राम अनाज मुफ्त में देने का प्रावधान है. यह अनाज बाजार दर पर खरीदकर सरकार को देना है.
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इसके बाद भी किसी परिवार के सामने भूख से मरने की नौबत न आये इसके लिये सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में मुखिया के पास और शहरी क्षेत्र में वार्ड पार्षद के पास 10,000/- का रिवाल्विंग फंड बनाया है जिसमें से वे जरूरतमंद को बाजार से अनाज खरीद कर देंगे. इस राशि की समाप्ति होते ही इनके खाते में पुन: 10,000 रूपये की प्रतिपूर्ति हो जायेगी.
इसके रहते हुये मुख्यमंत्री दाल-भात योजना, जिसका नाम बदलकर अब मुख्यमंत्री दीदी कैंटीन योजना हो गया है, में भी भर पेट भोजन 5/- रू० में कराने का प्रावधान है. इसके लिये भी चावल, दाल आदि की खरीद बाजार दर पर की जाती है.
इस प्रकार राज्य के करीब 90 प्रतिशत नागरिकों के लिये सरकार ने खाद्य आपूर्ति की व्वस्था या तो अनुमानित दर पर या बाजार भाव पर खाद्यान्न लेकर कर रखा है. ऐसी स्थिति में आवश्यक प्रतीत होता है कि सरकार राज्य में राशन व्यवस्था को सर्वव्यापी (युनिवर्सल) कर दे. जो चाहे परिचय पत्र दिखाकर राशन ले. कम से कम संकट की वर्तमान स्थिति तक तो ऐसा किया ही जाना चाहिये. सरकार चाहे तो इसके लिये अनाज का विशेष दर निर्धारित कर दे.
भारत सरकार अभी राज्यों को वर्ष 2011 की जनसंख्या के आधार पर राशन में बंटनेवाला खाद्यान्न अनुदानित दर पर दे रही है. देश में जनसंख्या प्रतिवर्ष करीब 15 प्रतिशत की अनुमानित दर से बढ रही है. भारत सरकार का नीति आयोग अपने कार्यक्रमों के लिये जनसंख्या वृद्धि की इसी अनुमानित दर को आधार मानकर निर्णय ले रहा है. इस पैमाना पर भारत सरकार दिसंबर 2019 की जनसंख्या की गणना करे और तदनुसार राज्यों को राशन का अनाज देना स्वीकार करे तो झारखंड में भोजन संकट की वर्तमान समस्या का समाधान हो जायेगा.
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पुर्ववर्ती सरकार में खाद्य सार्वजनिक वितरण विभाग के मंत्री के नाते मैनें भारत सरकार को यह प्रस्ताव भेजा था. स्वयं भी केन्द्र सरकार के खाद्य आपूर्ति मंत्री को पत्र लिखा था और मेरे विभाग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री से भी इस आशय का पत्र भिजवाया था जिसे भारत सरकार ने नहीं माना है, जबकि केन्द्र के पास अनाज का पर्याप्त भंडार है. भारतीय खाद्य निगम के लिये अनाज का भंडारण समस्या बन गया है.
अनुरोध है कि उपर्युक्त के संबंध में आप आवश्यक पहल करेंगे. राशन व्यवस्था को राज्य में सर्वव्यापी बनाने की घोषणा करेंगे और दिसंबर 2019 की जनसंख्या पर राशन का अनाज उपलब्ध कराने के लिये भारत सरकार को नया प्रस्ताव भेजेंगे. वर्तमान परिस्थिति में भारत सरकार इसे मान ले सकती है. इससे न केवल झारखंड बल्कि देश के अन्य राज्यों की जनता भी लाभान्वित होगी और राष्ट्रीय स्तर पर आपकी जननायक की छवि उभरेगी.
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