रांची: हनुमान जी को शिवजी का ग्यारहवां अवतार माना जाता है. हिन्दू मान्यतानुसार रुद्रावतार भगवान हनुमान माता अंजनी और वानर राज केसरी के पुत्र हैं. चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को ही हनुमान प्रकटोत्सव के रूप में मानते हैं. हनुमान जी के जन्म का वर्णन वायु- पुराण में किया गया है.
हनुमान जन्मोत्सव के दिन प्रात: काल सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होने के बाद हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. पूजा में ब्रह्मचर्य का विशेष ध्यान रखना चाहिए. हनुमान जी की पूजा में चन्दन, केसरी, सिन्दूर, लाल कपड़े और भोग हेतु लड्डू अथवा बूंदी रखने की परंपरा है.
● प्रेत आदि की बाधा निवृति हेतु हनुमान जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए :-
ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः।
प्रनवउं पवनकुमार खल बन पावक ग्यानधन।
जासु हृदय आगार बसिंह राम सर चाप घर।।
● शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए हनुमान जी के इस मंत्र का जाप करना चाहिए:-
ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु सहंरणाय स्वाहा।
● अपनी रक्षा और यथेष्ट लाभ हेतु इस मंत्र का जाप करना चाहिए :-
अज्जनागर्भ सम्भूत कपीन्द्र सचिवोत्तम।
रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमन् रक्ष सर्वदा।।