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स्थानीय पोषक खाद्य पदार्थ (परवरिश-21)

 राहुल मेहता,

रांची: सुकरी ने घर साफ करते हुए मकान मालकिन से कहा- ‘पता नहीं क्यों बेटी और कमजोर होती जा रही है’. मालकिन ने भी अपने पढ़े-लिखे होने का फर्ज़ निभाया और उसे उपदेश दे डाला. बेटी को हरा साग-सब्जी खिलाओ और दूध पिलाओ. अंडा में प्रोटीन बहुत होता है, हो सके तो वह भी खिलाओ. सुकरी ने तो कुछ बोला नहीं पर खुद को कोसते हुए- बुदबुदाई, अगर ये सब खरीदने का सामर्थ्य रहता तो बच्ची कमजोर ही क्यों होती?

पोषक भोजन की अवाश्यकता  

हमारे शरीर द्वारा पोषण का उपयोग विकास, ऊर्जा, प्रजनन और संरक्षण के लिए होता है. स्वस्थ शरीर के लिए अच्छा पोषण और अच्छा पोषण के लिए संतुलित भोजन जरुरी है. खराब पोषण का अर्थ है सिर्फ अपर्याप्त भोजन ही नहीं बल्कि असंतुलित सेवन भी है जिसके परिणामस्वरूप कुपोषण और बीमारी हो सकती है. उचित पोषण के लिए केवल पेट भरना ही काफी नहीं बल्कि ऊर्जा देने वाले, शारीरिक विकास वाले, बीमारी से बचाने वाले खाद्य पदार्थो का सेवन भी जरुरी है. लेकिन जहां पेट भरना भी मुश्किल हो वहां पोषक तत्व के बारे में सोचता कौन है?

आवश्यक पोषक तत्व के प्रकार और मात्रा

निर्धनता और अभाव के साथ पोषक तत्व की चुनौती जुड़ी हुई है लेकिन ऐसा नहीं है कि सामर्थ्यवान भी असंतुलित भोजन नहीं करते. प्राथमिक स्तर में ही विद्यालयों में पोषक तत्वों के बारे में पढ़ाया जाता है परन्तु उस जानकारी का उपयोग परीक्षा में ज्यादा जीवन में कम होता है. कभी-कभी उचित जानकारी के अभाव में भी लोग उपलब्ध संसाधन का समुचित प्रयोग नहीं कर पातें. साधारणतः भोजन के प्रकार और मात्रा निम्न प्रकार से होनी चाहिए-

  • ऊर्जा देने वाले (कार्बोहाइड्रेट और वसा): ये भोजन का 40% हिस्सा होना चाहिए और इनका सेवन दिन में कम से कम दो बार किया जाना चाहिए. अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट शरीर में वसा के रूप में जमा हो जाता है जिससे मोटापा बढ़ता है. कम शारीरिक कार्य करने वाले अथवा मोटे लोगों को इसका सेवन कम करना चाहिए.
  • शारीरिक विकास वाले (प्रोटीन): भोजन का 20% हिस्सा प्रोटीन होना चाहिए. इनका सेवन दिन में कम से कम एक बार किया जाना चाहिए. यूरिक एसिड या किडनी की समस्या से ग्रसित लोगों को इसका सीमित प्रयोग करना चाहिए.
  • सुरक्षात्मक खाद्य पदार्थ (विटामिन और खनिज): भोजन का बाकि 40% हिस्सा विटामिन और खनिज युक्त भोज्य होना चाहिए और इनका सेवन भी दिन में कम से कम दो बार किया जाना चाहिए. ये शरीर की रोग प्रतिरोधी क्षमता को बढ़ाते हैं और संक्रमण से लड़ने में मदद करते हैं.

स्थानीय पोषण के द्वारा स्वस्थ्य जीवन

बात घूम-फिर कर वहीं आ जाती है, अगर संसाधन सीमित हैं तब क्या करें? झारखण्ड में अनेक सस्ते और पोषक खाद्य पदार्थ प्राकृतिक रूप से उपलब्ध हैं जिनका समुचित उपयोग भोजन को संतुलित और पोषक बना सकती है.

  • शरीर को ऊर्जा देने वाले खाद्य पदार्थ का स्रोत: अनाज, चावल, सब्जी, मकई, फल, दूध आदि
  • प्रोटीन खाद्य पदार्थों का स्रोत: साग (सहजन, पेचकी, फूलगोभी, मेथी आदि) मडुवा, सेम, बोदी, घोंघा, मछली, अंडा, आदि
  • विटामिन और खनिज वाले खाद्य पदार्थ का स्रोत: हरी साग-सब्जियां जैसे- पेचकी, सहजन, चौगाई, मूली, गांठ गोभी साग, फूलगोभी साग, पालक साग, पत्ता गोभी, बोदी, टमाटर, आम, गाजर, अमरुद, आंवला सहित अन्य स्थानीय साग और फल, चुड़ा

समुचित उपयोग

पीला फल को या पालक को विटामिन ए का अच्छा स्रोत माना जाता है. पर ये मंहगे हैं. यही नहीं दोनों के माइक्रोन्यूट्रीएंट गुणों की तुलना करें तो आसानी से उपलब्ध अरबी या पेचकी साग (10278) और सहजन साग (6780) मंहगे आम(2743) और पालक (5580) से काफी ज्यादा पौष्टिक हैं. बेकार समझ कर फेंक दिया जाने वाला फूलगोभी साग (626) का ज्यादा सेवन कैल्सियम के लिए  दूध (1268) की कमी पूरी कर सकती है. इसी प्रकार अनेक सस्ते और आसानी से उपलब्ध पदार्थों का ज्यादा सेवन संभव है जो भोजन को पौष्टिक बन सकता है.

परवरिश सीजन – 1

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बच्चों की निगरानी (परवरिश-20)

स्थानीय पोषक खाद्य पदार्थ (परवरिश-21)

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परवरिश सीजन – 2

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पितृसत्ता और किशोरियों की परवरिश (परवरिश: अभिभावक से दोस्त तक-05)

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“आंचल” परवरिश मार्गदर्शिका’ हर अभिभावक के लिए अपरिहार्य