रांची: माननीय सर्वोच्च न्यायालय में एक उच्च स्तरीय कमेटी जिसमें माननीय न्यायाधीश एच.सी. मिश्रा, कार्यपालक अध्यक्ष झालसा, सुखदेव सिंह, मुख्य सचिव, झारखंड सरकार तथा शशि रंजन आई.जी. प्रीजन के द्वारा 7 वर्ष तक की सजा वाले विचाराधीन बंदियों को न्यायालय से रिहा करने हेतु जमानत या अंतरिम जमानत में छोड़े जाने के संबंध में जिला विधिक सेवा प्राधिकार, रांची को दिनांक 09.04.2020 को पत्र निर्गत किया गया था.
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तत्पश्चात माननीय न्यायायुक्त नवनीत कुमार के निर्देशानुसार जेल अधीक्षक को उपरोक्त पत्र के आलोक में विचाराधीन बंदियों की सूची बनाने का आदेश दिया गया. तत्पश्चात जिला विधिक सेवा प्राधिकार, रांची को कुल 121 विचाराधीन बंदियों की सूची तथा बंदी आवेदन प्राप्त किया गया. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के द्वारा उपरोक्त आदेश के आलोक में सभी संबंधित न्यायालयों को बंदियों द्वारा प्राप्त आवेदन विधिक सहायता के साथ संप्रेषित की गयी. उसमें मो. फहीम किरमानीं, मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी, वैशाली श्रीवास्तव, अपर मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी, रेलवे न्यायिक दण्डाधिकारी, मनीष कुमार सिंह का न्यायालय, राजीव त्रिपाठी, दिव्या मिश्रा, अजय गुड़िया, अभिषेक प्रसाद, प्रमानन्द उपाध्याय, एसडीजेएम, मनीष कुमार सिंह, कुमारी नितिका, शिल्पा मुर्मू, रोजलिना बारा, नूतन एक्का एवं कावेरी कुमारी के न्यायालयों के मामले शामिल है.
ऐसे मामले जिसमें माननीय उच्च न्यायालय के द्वारा विचाराधीन बंदियों की जमानत याचिका खारिज कर दी गयी है, वैसे मामलों की सुची जिला विधिक सेवा प्राधिकार, रांची के द्वारा तैयार की गयी है तथा उसे आवश्यक कार्रवाई हेतु झालसा, रांची को संप्रेषित कर दिया गया है.
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इसी कड़ी में माननीय मुख्य न्यायिक दण्डाधिकारी के द्वारा दो मामलों की सुनवाई दिनांक 16.04.2020 की गयी, जिसमें विचाराधीन बंदियों की ओर से पैनल अधिवक्ता के रूप में बिनोद कुमार सिंह ने पक्ष रक्षा तथा न्यायालय को बताया कि उपरोक्त बंदी सात वर्ष से कम सजा वाले अपराध के लिए जेल में बंद है तथा माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा झालसा के निर्देशानुसार दिये गये गाईडलाईन के अंतर्गत वे आते है. अतः उन्हें मुक्त किया जाना चाहिए. सुनवाई के पश्चात में उन्हें अंतरिम जमानत पर 45 दिनों के लिए शत्र्तो के साथ, निजि मुचलके पर रिहा कर दिया गया.
माननीय वैशाली श्रीवास्तव, एसीजेएम, रांची के न्यायालय में कुल 10 मामलों की सुनवाई हुई तथा उसके पश्चात सभी दस विचाराधीन बंदियों को 45 दिनों के अतंरिम जमानत पर सशर्त रिहा किया गया. उसी प्रकार अभिषेक प्रसाद के न्यायालय से कुल तीन मामलों में सुनवाई हुई तथा तीनों बंदियों को अंतरिम जमानत पर सशर्त रिहा किया गया.
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ज्ञात हो कि जेल में विचाराधीन बंदियों की संख्या अत्याधिक होने के कारण माननीय सर्वोच्च न्यायालय तथा माननीय झालसा ने इस मामले में संज्ञान लिया और कोविड-19 महामारी को ध्यान में दखते हुए विचाराधीन बंदियों की संख्या कम करने हेतु उपरोक्त आदेश पारित किया गया. माननीय न्यायायुक्त के द्वारा सभी संबंधित न्यायिक पदाधिकारीगण एवं जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, सचिव एवं अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठक कर एक पारस्परिक सहमति बनाते हुए इस मामलों के सभी पक्षों को ध्यान में रखते हुए तथा लाॅकडाउन के नियमों के अधीन रहते हुए आवश्यक कार्रवाई करने की अनुशंसा की गयी थी. इसी के आलोक में विभिन्न न्यायालयों के द्वारा मामले की सुनवाई कर अब तक कुल 20 बंदियों को रिहा किया गया.
माननीय न्यायायुक्त नवनीत कुमार के द्वारा यह निर्देश दिया गया है कि विचाराधीन बंदियों को घर जाने हेतु यातायात की सुविधा मिले तथा विचाराधीन बंदी बाहर निकल कर लाॅकडाउन के नियमों का पालन भी करें.