रांची: कोविड-19 और देशव्यापी लॉकडाउन से उत्पन्न स्थिति पर विचार-विमर्श के लिए गठित मंत्रिमंडलीय उपसमिति की शुक्रवार को रांची के नेपाल स्थित राज्य सचिवालय में बैठक हुई. इस बैठक में लॉकडाउन की अवधि में दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों, झारखंड के विभिन्न हिस्सों में दूसरे प्रदेशों व जिलों के कार्यरत श्रमिकों और सूबे में रहने वाले गरीब-जरूरतमंद परिवारों तक समेकित तरीके से तुरंत राहत पहुंचाने को लेकर कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये. सभी प्रवासी श्रमिकों को डीबीटी के माध्यम से एक-एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता, 20 अप्रैल से मनरेगा, राजमार्ग और अन्य निर्माण कार्यां के लिए छूट, खेतीबारी में सहयोग, दूग्ध सामग्रियों को बनाने के लिए मदद, लॉकडाउन समाप्त होने के बाद वापस लौटने वाले लाखों लोगों के रहने एवं खाने-पीने तथा जांच की सुविधा उपलब्ध कराने की विस्तृत योजना बनायी गयी.
मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक समाप्त होने के बाद वित्त तथा खाद्य आपूर्ति मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव ने पत्रकारों को बताया कि 20 अप्रैल से मनरेगा योजनाओं का काम शुरू किया जाएगा, इसके लिए ग्रामीण विकास विभाग द्वारा सभी जिलों को पर्याप्त राशि उपलब्ध करा दी गयी है, जबकि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माण कार्य शुरू करने को लेकर जो दिशा-निर्देश जारी किया है,उसी की भांति राज्य में भी राजमार्गां का निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा. उन्होंने बताया कि राज्य और देश की बड़ी आबादी कृषि पर निर्भर है, कृषि कार्य में मदद के लिए सरकार आगे बढ़ाएंगी, जिन किसानों के पास खेत जोतने के लिए हल-बैल की व्यवस्था नहीं होगी, सरकार उन खेतों को ट्रैक्टर के माध्यम से जोतने की व्यवस्था करेगी, इसलिए किसान अभी से खाद-बीज और अन्य संस्थानों की जुगाड़ में लग जाए. उन्होंने बताया कि राज्य में बड़ी संख्या में दुधारू मवेशी है, लॉकडाउन में दूध उत्पादन में लगे किसानों की मुश्किलें बढ़ी है, इस अतिरिक्त दूध से खोआ, पाउडर और अन्य घी बनाने में किसानों को सहयोग करेगी.
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हटिया विधायक नवीन जायसवाल समेत कुछ अन्य भाजपा विधायकों के उपवास किये जाने पर पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा कि इस वक्त अनशन करने की जगह भाजपा विधायकों को केंद्र सरकार पर यह दबाव बनाना चाहिए कि संकट की इस घड़ी में आपदा प्रबंधन राशि के माध्यम से भारत सरकार लोगों के रहने-खाने पीने और स्वास्थ्य जांच का इंतजाम करें.
उन्होंने विधानसभा क्षेत्र के लोगों के लिए विधायक निधि के माध्यम से 25-25 लाख रुपये का किये गये प्रावधान के संबंध में स्पष्ट किया कि यह राशि विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र में जरूरतमंद और निर्धन परिवारों के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने की अनुशंसा को प्रावधान किया गया है. जबकि दूसरे राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों के लिए राज्य सरकार मोबाइल एप के माध्यम से सभी को एक-एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराएगी, इसके लिए विधायकों को चिंता करने की जरूरत नहीं है, वे सिर्फ ऐसे फंसे लोगों को चिह्नित करने में सरकार की मदद करें.
इस मौके पर श्रम नियोजन मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को चिह्नित करने का काम शुरू कर दिया गया है, उनके लिए भोजन-पानी और राशन का इंतजाम कराया जा रहा है, जबकि झारखंड में दूसरे सूबे के फंसे लोगों की मदद के लिए भी राहत शिविर चलाया जा रहा है. इस शिविर में सभी मूलभूत सुविधा उपलब्ध करायी गयी है.
कल्याण मंत्री चंपई सोरेन ने बताया कि लॉकडाउन की अवधि समाप्त होने के बाद लाखों लोग वापस लौटेंगे, इन्हें एक ही जगह नहीं ठहराया जाएगा बल्कि इनके रहने-खाने पीने के लिए अलग-अलग जगहों पर इंतजाम किया जाएगा और वहां समुचित जांच की भी सुविधा उपलब्ध करायी जाएगी.
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