रांची: घर की स्थिति ठीक नहीं थी, विपरीत परिस्थिति में पढ़ाई की और पिताजी के सपने को पूरा किया. यह कहानी है बड़कागांव के महादेव महतो की.
महादेव के पिता होमगार्ड थे. आमदनी ज्यादा नहीं होने की वजह से थोड़ी परेशानी होती थी. लेकिन कहते हैं ना अगर दिल में कुछ करने की लगन हो तो भगवान भी साथ देते हैं. महादेव के साथ भी ऐसा हुआ. आज महादेव अफसर बन गए हैं. उनका चयन जेपीएससी में अंतिम रूप से हो गया है.
बीएनएन न्यूज़ से खास बातचीत में उन्होंने बताया कि वर्ष 2001-2007 तक रांची में रहकर अपनी पढ़ाई पूरी की. घर की माली हालत ठीक नहीं होने की वजह से रांची में पढ़ाई के साथ-साथ पार्ट टाइम जॉब भी किया ताकि, पढ़ाई का खर्च निकल सके. फिर उन्होंने 2008 में कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में लिपिक की नौकरी की. 2019 तक यहां काम किया. फिर 2019 में सदर अस्पताल हज़ारीबाग़ में लिपिक की नौकरी की. पिताजी के रिटायर होने के बाद फिर परेशानी हो गई लेकिन मेरी नौकरी होने की वजह से थोड़ी राहत थी. कई परेशानी आई चूंकि पिताजी का सपना पूरा करना था इसलिए अपने लक्ष्य से विचलित नहीं हुआ. अपनी विपरीत परिस्थिति को अपनी ढाल बनाया और मेहनत जारी रखी. आज परिणाम सबके सामने है.
एमए, नेट, पीजी और एमबीए की पढ़ाई की
महादेव ने बताया कि उनकी पढ़ाई में उनके पिता ने बखूबी साथ दिया. हालात ठीक नहीं होने के बावजूद मेरा हौंसला बढ़ाया और पढ़ाई जारी रखने को कहा. उनका कहना था कि तुम्हे बड़ा अफसर बनना है. आज मैंने अपने पिता की बदौलत एमए, पीजी, नेट व एमबीए की पढ़ाई पूरी की. पिताजी, रिटायर होने के बाद गांव में खेतीबारी करते हैं.
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दो नदी पार कर पढ़ाई करने जाते हैं
महादेव बताते हैं कि उनके गांव में दो नदियां हैं. उन नदियों को पार कर कॉलेज जाना पड़ता था. वो बताते हैं कि माता-पिता के अलावा एक छोटा भाई है जो सीआरपीएफ में है.