रांची: विगत पांच वर्षों में झारखण्ड के कण-कण को खाकर पेट भर चुके भाजपा के सांसद, विधायक आज विगत चार माह पूर्व जनता द्वारा लगाए गए जनमत की चपत से तिलमिला कर उपवास करने की नौटंकी कर रहे हैं. यह सम्प्रदाय के आधार पर समाज को बांटने की कोशिश की है. उसका पार्टी कड़े शब्दों में निंदा करती है. उन्हें धिक्कार पेश करती हैं. उक्त बातें झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कही.
उन्हाेंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के एक-एक दिशा-निर्देश, प्रोटोकॉल एवं निर्णयों के अक्षरशः पालन कर रही है. लॉकडाउन के दौरान प्रधानमंत्री द्वारा दिये गए संदेश की “जो जहां है, वहीं घर पर रहें” को मानते हुए राज्य सरकार ने भी अक्षरशः उसी नीति का पालन किया. झारखंड मुक्ति मोर्चा का या उसके गठबंधन दल के लोगों ने प्रधानमंत्री के आह्वान को सम्मान देने का काम किया है.
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के झारखंड के तीन सांसद अपने दल के सर्वोच्च नेता एवं प्रधानमंत्री के आह्वान को ठेंगा दिखाते हुए लॉकडाउन के दौरान दिल्ली से तफरीह करते हुए रांची, जमशेदपुर और धनबाद पहुंच गए. जो गोड्डा लोकसभा का प्रतिनिधित्व करने वाले निशिकांत दुबे ने भारत सरकार सहित विश्व स्वास्थय संगठन के निर्देशों का उल्लंंघन करते हुए कोरोना पोजिटिव मरीज का नाम, सम्प्रदाय एवं पहचान को उजागर किया। गृहमंत्री अमित शाह को इन मामलों में तत्काल संज्ञान लेकर महामारी के समय जारी आपदा प्रबंधन कानून के उल्लंघन एवं लॉकडाउन के शर्तों के उल्लंघन के आरोपों के कानूनी प्रावधान के तहत तुरंत उनकी गिरफ्तारी सुनिश्चित करनी चाहिए.
झारखंड राज्य सरकार एवं मुख्यमंत्री सहित समस्त प्रशासनिक पदाधिकारी एवं कर्मचारी, पुलिस प्रशासन के तमाम उच्च पदाधिकारियों के साथ साथ निचले पायदान पर खड़े जवानों, स्वास्थ्य सेवा से जुड़े डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिकल कर्मी, सफाई कर्मचारी, लोगों तक अनाज, फल, सब्जी, दूध, दवाई पहुंचाने वाले असंख्य लोगों के मनोबल को तोड़ने की जो गंदी साजिश रची जा रही है. यह असहनीय है एवं उनपर सख्त कानूनी कार्रवाई करने का अब समय आ गया है. भाजपा गंदी राजनीति छोड़े एवं विपदा के इस काल में मानवता का यदि परिचय नहीं दे सकते हैं तो कम से कम अपने दिल के घृणित मंशाओं को उजागर न करें.
झारखंड भाजपा के पास यदि कोई सकारात्मक सोच है तो जरूर उसे व्यक्त करें. उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा के भाजपा शासित राज्यों के निर्णयों को यहां लागू करवाने की न सोंचे। भाजपा के सहयोग से चल रहे बिहार सरकार इन निर्णयों का भी थोड़ा ख्याल रखे. भाजपा के ही बिहार के विधायक लॉक डाउन को तोड़ कर कोटा से अपने बच्चे को लेकर आए, ये गंदी प्रवृत्ति है.
लाखों प्रवासी लोग आज बेघर हैं, बेरोजगार हैं एवं भूख से तड़प रहे हैं, वही भाजपा के सांसद, विधायक एवं नेता सुबह 10 बजे तक पेट से लेकर गले तक खाकर चार बजे तक का उपवास कर गरीबों का उपहास उड़ा रहे हैं. पांच साल तक राज्यों को खाने के कारण जनमत के निर्णय को स्वीकार कर अपने-अपने घरों में शांत हो कर बैठें अन्यथा इस विपदा के बाद जनता उन्हें और भी कड़ी सजा देने को तैयार बैठी है.