रांची: वर्तमान में जारी वैश्विक महामारी कोविड -19 के दौरान कई स्थानों से उपद्रवियों द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला किए जाने के मामलों के मद्देनजर, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा के लिए महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन करने के लिए महामारी रोग अध्यादेश 2020 को मंजूरी दे दी है. इस भारत के राजपत्र में प्रकाशित अध्यादेश के अनुसार, महामारी के दौरान स्वाथकर्मियों के खिलाफ हिंसा करने, स्वास्थ्यसेवा परिसंपत्तियों के नुकसान करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इस संशोधन के अनुसार इस कृत्य का दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया जा सकता है, साथ ही अपराधी के ऊपर ₹50 हज़ार से ₹2 लाख तक का जुर्माना भी किया जा सकता है.
भारत का राजपत्र में प्रकाशित महामारी रोग अध्यादेश 2020 के अनुसार, किसी भी महामारी के दौरान इस प्रकार की हिंसा करने वालों, स्वास्थ्यकर्मियों को चोट पहुंचाने या स्वास्थ्यसेवा में लगी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले दोषियों को पुलिस द्वारा बिना किसी पूर्व सूचना के हिरासत में लिया जा सकता है, साथ ही मामले में जमानत नहीं दिए जाने का प्रावधान है.
22 अप्रैल को प्रकाशित भारत का राजपत्र के अनुसार इस अधिनियम में किसी भी व्यक्ति द्वारा महामारी के दौरान किए गए निम्नलिखित कृत्य शामिल हैं-
-स्वास्थ्य कर्मियों के रहने या कार्यस्थल को प्रभावित करने और उन्हें अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोकने की कोशिश
-स्वास्थ्यकर्मियों के को चोट पहुंचाना या धमकी देना(सेवास्थल या अन्यथा)
-स्वास्थ्यकर्मियों को उनके कर्तव्यों के निर्वहन में बाधा या बाधा का कारण बनना
-स्वास्थ्यकर्मियों की सुरक्षा में या इससे संबंधित किसी भी संपत्ति या दस्तावेजों को नुकसान या क्षति पहुंचाना
स्वास्थ सेवा कर्मियों की श्रेणी में ये हैं शामिल
अध्यादेश के अनुसार, हेल्थकेयर कर्मियों में सार्वजनिक और क्लीनिकल स्वास्थ्य सेवा प्रदाता जैसे डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल कार्यकर्ता और सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता शामिल हैं या कोई अन्य व्यक्ति जिसे इस बीमारी के प्रकोप को रोकने या इसके प्रसार को रोकने के लिए अधिनियम के तहत अधिकार प्राप्त हो या आधिकारिक राजपत्र के माध्यम से अधिसूचना द्वारा राज्य सरकार द्वारा घोषित किया गया कोई भी व्यक्ति इस श्रेणी में आता है।
कार्रवाई का प्रावधान
इसमें आगे कहा गया है कि जो कोई भी व्यक्ति स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा करता है या हिंसा के दौरान भागीदारी लेता है या स्वास्थ्य सेवा में लगे किसी संपत्ति (स्वास्थ्य सुविधा) को नुकसान पहुंचाता है तो, उसे तीन महीने से लेकर पांच साल तक के कारावास की सजा दी जाएगी. इसके अतिरिक्त ₹ 50,000 / से ₹ 2,00,000 / के जुर्माने का भी प्रावधान है. स्वास्थ्यकर्मी को अत्यधिक चोट पहुंचाने के मामले में छह महीने से 7 साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है, जो कि एक लाख रुपये से कम नहीं होगा और पांच लाख रुपये तक हो सकता है. इसके अलावा, पीड़ित को मुआवजे का भुगतान करने के अलावा नुकसान की गई परिसंपत्ति के बाजार मूल्य (क्षति के तहत) के दोगुने का भुगतान करने के लिए भी उत्तरदायी होगा.
अध्यादेश के अनुसार इस तरह के मामलों में एफआईआर दर्ज होने के 30 दिनों की अवधि के भीतर पुलिस निरीक्षक रैंक के एक अधिकारी द्वारा जांच पूर्ण किया जाएगा.