असम के 33 जिलों में से 30 बाढ़ की चपेट में हैं. सूबे के 4157 गांव टापू में तब्दील हो चुके हैं. 15 लोग अपनी जान बाढ़ और लैंडस्लाइड में गंवा चुके हैं. ब्रह्मपुत्र की लहरों के कहर से बचने के लिए इंसान और जानवर दोनों सुरक्षित ठिकाना तलाश रहे हैं. काजीरंगा नेशनल पार्क का 90 फीसदी हिस्सा डूब चुका है. बाढ़ से अब तक 42 लाख 86 हजार लोग प्रभावित हैं. ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों का पानी लगातार बढ़ता जा रहा है और असम के बाकी बच्चे हिस्सों को अपनी चपेट में ले रहा है. काजीरंगा नेशनल पार्क में भी बाढ़ की विनाशलीला जारी है. चारों ओर पानी ही पानी दिखाई दे रहा है. इस नेशनल पार्क में सूखी जमीन खोजना मुश्किल हो गया है. काजीरंगा नेशनल पार्क एक सींग वाले गैंडे के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है लेकिन इन दिनों इस पार्क का 90 फीसदी हिस्सा बाढ़ में डूबा हुआ है.
बाढ़ के पानी से यहां के जानवरों की जिंदगी पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. जानवर जहां-तहां फंसे हुए हैं. काजीरंगा नेशनल पार्क करीब एक हजार हाथियों और सैकड़ों हिरणों का घर है लेकिन इन दिनों काजीरंगा पार्क ब्रह्मपुत्र में आई बाढ़ की वजह से छोटे-छोटे द्वीप में तब्दील हो चुका है. बाढ़ में फंसे जानवरों को सुरक्षित ठिकानों पर पहुंचाने के लिए लगातार रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है
पार्क के ज्यादातर हिस्सों में पानी इतना भरा हुआ है कि मकान का सिर्फ ऊपरी हिस्सा ही दिखाई दे रहा है. काजीरंगा पार्क के जानवर भी जलसैलाब से होते हुए अपने लिए सुरक्षित ठिकाने तलाश रहे हैं. आने-जाने के रास्तों पर भी पानी का कब्जा है. असम में आई हाहाकारी बाढ़ ने इंसान और जानवर दोनों को बेघर कर दिया है. पानी के प्रचंड प्रहार से बचने के लिए सब अपना घरबार छोड़कर सुरक्षित ठिकानों पर शरण ले रहे हैं और भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं कि ब्रह्मपुत्र का पानी जल्द से जल्द कम हो.
By Beena Rai