रांची: पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा कोरोना संकट के मद्देनजर गैर-राशन कार्डधारियों के लिए 10-10 किलो अनाज देने की घोषणा की गई है.
घोषणा के एक माह से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार इन सभी गैर-कार्डधारियों को राशन उपलब्ध कराने में नाकाम साबित हुई है. राज्य में ऐसे लोगों की संख्या 06 लाख 97 हजार 443 बताई जा रही है, जिनका आवेदन देने के बाद भी कार्ड नहीं बन पाया है.
भारत सरकार के द्वारा अनाज मुहैया कराने के बाद भी इन वंचितों तक अनाज अब तक नहीं पहुंचना दुखद है. इक्के-दुक्के स्थानों को छोड़कर लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है.
उन्होंने कहा कि सरकार 01 लाख 87 हजार लोगों तक अनाज पहुंचाने की बात कह रही है, पंरतु जमीनी आंकड़ा इससे कम ही प्रतीत हो रहा है. जैसी जानकारी मिल रही है और अखबारों में खबरें भी आ रही हैं कि अधिकांशतः स्थानों पर गैर-कार्डधारियों के लिए डीलरों तक न तो अनाज पहुंचा है और न ही इससे संबंधित कोई आधिकारिक आदेश ही दिया गया है.
लोग कई-कई किलोमीटर की दूरी तय कर डीलर के पास पहुंच रहे हैं और निराश होकर लौट रहे हैं. आज भी राजधानी रांची के कई इलाके की इससे संबंधित अखबारों में प्रमुखता से प्रकाशित खबरें देखी जा सकती है. जब राजधानी का यह हाल है तो सुदूरवर्ती इलाकों की भयावहता खुद समझी जा सकती है.
अभी कोई सामान्य वक्त नहीं है. जिस सरकार के लिए भोजन व राशन प्राथमिकता सूची में होनी चाहिए थी उसी सरकार के द्वारा ऐसी घोर लापरवाही अनुचित और असंवदेनशील है. झारखंड उच्च न्यायालय ने भी चार दिन पूर्व इस मामले पर सरकार को नसीहत देते हुए कहा था कि घोषणाओं व योजनाओं को सिर्फ कागज तक ही नहीं रखें, इसका लाभ भी जरूरतमंदों तक पहुंचनी चाहिए.
उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की है कि इस दिशा में वे अविलंब त्वरित कदम उठाएं. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि इन गरीबों की हालत समझते हुए उपायुक्तों और डीलरों के नाम सरकार को एक सार्वजनिक निर्देश जारी करनी चाहिए कि कार्ड के लिए अप्लाई किए गए आवेदन की छायाप्रति- सूची देखकर इन वंचितों को अनाज मुहैया कराए जाएं. कहीं परेशानी हो तो जनप्रतिनिधि, मुखिया, प्रमुख, पंचायत समिति, वार्ड सदस्य आदि की भूमिका तय कर अनाज वितरण सुनिश्चित हो.