जयपुर: राजस्थान में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसके चलते किसी किस्म के डर की आशंका को खारिज करते हुए कहा है कि प्रदेश में ज्यादा से ज्यादा जांच की जा रही हैं, ताकि कोई भी मामला छिपा न रहे.
गहलोत ने यह भी कहा कि कोरोना संकट के कारण राज्य के राजस्व में भारी कमी आने का अंदेशा है और जीएसटी का बकाया वापस करने सहित उनकी सरकार की कई मांगों पर केंद्र सरकार ने अब तक कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया है.
प्रदेश में कोरोना संक्रमण का केंद्र बनकर उभरे भीलवाड़ा जिले में सफलतापूर्वक इस बीमारी को रोकने के लिए देश भर में वाहवाही बटोर रहे गहलोत ने राज्य के अन्य इलाकों में गंभीर हो रहे हालात पर कहा कि अन्य जगहों पर घनी आबादी के चलते नियंत्रण में समय लग रहा है.
उन्होंने कहा भीलावाड़ा-मॉडल जयपुर, कोटा और राज्य के उन सभी क्षेत्रों में अपनाया गया जो कोरोना के हॉट-स्पॉट हैं. लेकिन, जयपुर परकोटा (रामगंज) इलाके में भीलवाड़ा की तुलना में आबादी का घनत्व बहुत ज्यादा है. एक ही घर में कई परिवार रहते हैं. इस क्षेत्र को 30 क्लस्टर में बांटकर ज्यादा जांच कराई जा रही हैं, इसलिए मामले बढ़े हुए लग रहे हैं.”
मुख्यमंत्री ने कहा मामले बढ़ने से घबराने की जरूरत नहीं है. हम चाहते हैं कि कोई भी मामला छिपा न रहे. विपक्ष के इन आरोपों को उन्होंने खारिज किया कि कुछ इलाकों में मुस्लिम समुदाय की आबादी अधिक होने के कारण सरकार ने वहां सख्ती नहीं बरती.
गहलोत ने कहा कि जयपुर परकोटा (रामगंज) में कुछ मामले सामने आते ही सख्ती लागू कर दी गई थी. किसी दल या नेता का नाम लिए बिना मुख्यमंत्री ने कहा सबको यह समझने की जरूरत है कि यह महामारी जाति, धर्म या राष्ट्रीयता नहीं देखती.
राज्यभर में 22 मार्च से लॉकडाउन है और अनेक थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा हुआ है. राजस्थान में कोटा,जयपुर, जोधपुर, अजमेर, टोंक तथा सीकर जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं. लॉकडाउन, कोरोना संकट का स्थाई समाधान नहीं होने संबंधी राहुल गांधी के बयान के बारे में पूछे जाने पर गहलोत ने कहा कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने बिल्कुल ठीक कहा है कि लॉकडाउन कोरोना संकट का एकमात्र उपाय नहीं है और ज्यादा से ज्यादा संदिग्धों की जांच होनी चाहिए.