नीता शेखर,
कभी कभी जीवन में खुशियां ऐसे मिल जाती हैं जैसे सारा जहां मिल गया हो.
चांदनी रात थी उस पर होले होले हवा बह रही थी. हमारे घर की बालकनी से दृश्य बड़ा मनोरम लग रहा था. चांदनी रात को देखते देखते मीना के दिल में कुछ हलचल सी हुई. पुरानी बातें कुछ याद हो गई.
मीना को आज मन कर रहा था काश ये रात खत्म ही ना हो. उसको चांदनी रात से बहुत लगाव था. लगाव हो भी क्यों नहीं ? चांदनी रात ने उसकी दुनिया बदल दी थी.
तब वह कॉलेज में पढ़ती थी. आते-जाते हर समय उसे लगता कोई उसका पीछा कर रहा है. शुरू में तो उसने ध्यान नहीं दिया फिर उसको लगा शायद कोई उसका पीछा करता है. अब उसको थोड़ा डर भी लगने लगा. उसने सोचा क्या करूं घर में बताऊं या ना इसी उलझन में फंसी हुई थी कि तभी अचानक एक दिन वह लड़का सामने आ गया. अब तो मीना को घबराहट लगने लगी और डर भी. मीना से उसने कहा घबराइए नहीं. मैं यहां अपनी बुआ के घर आया हूं. मैं फाइनल ईयर इंजीनियरिंग का छात्र हूं. आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं.
अपने आप को रोक नहीं पाया इसलिए आपसे मिलने चला आया. मेरा नाम अंकित है. मैं आपसे दोस्ती करना चाहता हूं. पहले तो मीना घबराई फिर उसने दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया. फिर उनकी मुलाकात होने लगी. समय कब पंख लगा कर उड़ जाता है पता ही नहीं चलता. इसी बीच ऐसे ही अंकित के जाने का दिन नजदीक आ गया. एक दिन ऐसे ही चांदनी रात में दोनों मिले. फिर अंकित ने जल्दी ही वापस आने का वादा करके चला गया. फिर मीना भी अपनी पढ़ाई में लग गई. उसने बी ए करने के बाद बैंक में नौकरी करनी शुरू कर दी.
इसी बीच उसकी शादी की हलचल होने लगी. जिसे देखो शादी की ही बात करना. पर मीना आज भी अंकित का इंतजार कर रही थी. वह अभी तक लौटा नहीं था. अब उसे थोड़ी फिक्र हुई. सोचने लगी पर वह पूछती भी तो किससे? पता चला अंकित की बुआ का ट्रांसफर कहीं और हो गया. वह लोग यहां से चले गए. इसी बीच मीना की शादी ठीक हो गई. मीना बहुत बेचैन थी पर अंकित का कुछ पता नहीं चल पा रहा था. फिर उसने अपने अरमानों को दबाकर शादी के लिए हामी भर दी. वह दिन भी आ गया जब बरात उसके दरवाजे पर आ गई. जब वह जयमाला के लिए पहुंची तो उसे एक झलक लगा कि अंकित है. उसने अपने आप को संभाला और मन में सोचा हर कोई उसे अंकित ही दिखता है. उसने सोचा कि अंकित कैसे हो सकता. कार्ड पर तो कोई और नाम लिखा था. इसी बीच शोर-शराबे के बीच जयमाला भी हो गई.
शादी के बाद विदा होकर बिना अपने ससुराल आ गई. रस्मो रिवाज को निभाते हुए रात में जब अपने कमरे में आई तो उसने थोड़ी चैन की सांस ली. फिर उसने खिड़की से देखा. वही चांदनी रात थी. मस्त हवाओं के झोंके बह रहे थे. मीना सोच रही थी कि इसी चांदनी रात ने उसे कितना दर्द दिया है. शायद वह कभी भूल न पाए. तभी पीछे से किसी ने आवाज दी मीना यहां आओ. वहां क्या कर रही हो ? मीना फिर चौक गई. उसे ऐसा लगा अंकित ने आवाज दी और फिर अचानक से मुड़ी तो बिल्कुल सच में सामने अंकित खड़ा था. कुछ देर तक तो मीना को विश्वास ही नहीं हुआ फिर उसने पूछा अरे तुम यहां क्या कर रहे हो ? अंकित ने कहा हां मैं ही तुम्हारा पति हूं. क्या ? मीना को बड़ा झटका लगा. मैं ही हूं तुम्हारा पति, मैंने तुम्हें सरप्राइज़ देने के लिए सबको बताने से मना कर दिया था. अब मीणा को ऐसा लगा मानो सारे जहां की खुशियां उसके झोले में सिमट आई है.
आज चांदनी रात ने उसकी खुशियां लौटा दी थी. मीना अभी सोच ही रही थी कि अंदर से आवाज आई अरे मीना कहां हो ? बिट्टू जग गया है.