रांची: पेयजल स्वच्छता मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने कहा है कि वैश्विक कोरोना संकट के वक्त भाजपा नेता भ्रामक और तथ्यहीन बातें कर लोगों को गुमराह करने के प्रयास में जुटे है. बुधवार को रांची में पत्रकारों से बातचीत में मिथिलेश कुुमार ठाकुर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि रेलवे की ओर से पंजाब के जलांधर और लुधियाना से दो श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाने की बात की थी, इस संबंध में रेलवे द्वारा पत्र भी जारी किया गया था, लेकिन किन कारणों से रेलवे द्वारा बाद में एक ट्रेन के परिचालन को रद्द कर दिया गया, इसका जवाब रेलवे प्रबंधन ही दे सकता है और भाजपा के ही नेताओं को इस संबंध में रेलवे के शीर्षस्थ अधिकारियों से ही बात करनी चाहिए.
मिथिलेश कुमार ठाकुर ने कहा कि एक ट्रेन जलांधर से चलकर आज सुबह डालटनगंज पहुंची, लेकिन दूसरी स्पेशल ट्रेन का परिचालन क्यों रद्द हुआ इस बात की जानकारी भाजपा नेताओं को अपने केंद्रीय रेलमंत्री से पूछनी चाहिए. उन्होंने यह भी जानकारी दी कि पंजाब सरकार द्वारा स्पेशल ट्रेन परिचालन को लेकर 7.72लाख रूपये का भुगतान रेलवे को किया गया और तब जाकर यह ट्रेन खुली, यह भी संभव है कि जो दूसरी ट्रेप पंजाब से नहीं खुल सकी, उसके लिए पंजाब सरकार द्वारा रेलवे को भुगतान करने में विलंब हो गया होगा, लेकिन झारखंड सरकार इसके लिए पंजाब सरकार को राशि वापस लौटाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा के रांची के सांसद और प्रदेश प्रवक्ता बड़ी-बड़ी बातें कर रहे है, लेकिन वस्तुस्थिति यह है कि लुधियाना में लाठीचार्ज की कोई घटना नहीं हुई और वहां किसी तरह के अफरा-तफरी की स्थिति उत्पन्न होने की सूचना नहीं है. इसलिए भाजपा नेताओं को घटिया राजनीति से बाज आना चाहिए.
मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने बताया कि पलामू प्रमंडल विशेषकर गढ़वा से बड़ी संख्या में हजारों श्रमिक पंजाब में काम करने गये है और लाॅकडाउन में मुश्किलों का सामना कर रहे प्रवासी श्रमिकों को यदि उनके माध्यम से सूचना दी गयी तो इसमें कहीं से कुछ भी गलत नहीं है. उन्होंने बताया कि वे अब भी लगातार यह प्रयास कर रहे है कि कैसे सभी प्रवासी श्रमिक अपने घर सुरक्षित वापस लौटे, इसके लिए जहां तक संभव हो पा रहा है, वे अपने निजी कोष से भी सहयोग कर दूसरे प्रदेशों में फंसे लोगों को वापस लाने का काम कर रहे है. बुधवार को भी रायपुर में फंसे 300 लोगों को सुरक्षित लाया गया, वहीं नोवामुंडी में कटक से पैदल चल कर लौट रहे लोगों को निजी खर्चे पर उनके घरों तक पहुंचाया गया.