विश्व रेड क्रॉस दिवस: हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी 8 मई को रेड क्रॉस दिवस मनाया जा रहा है. लेकिन क्या आप जानते है कि रेड क्रॉस दिवस है क्या और यह 8 मई को ही क्यों मनाया जाता है, क्या है इसका इतिहास. नहीं जानते है तो कोई बात नहीं हम आपको यहाँ रेड क्रॉस से जुडी हर बात बताने जा रहें है, बस आप इस पोस्ट को आखरी तक पढ़िए.
दरअसल, रेडक्रॉस के जनक जॉन हेनरी डिनैंट का जन्म 8 मई, 1828 को हुआ था. और जान हेनरी ही रेड क्रॉस के संस्थापक है तो तय हुआ की हेनरी के सम्मान में इस दिवस को 8 मई को ही मनाया जाये और तबसे उनके जन्मदिन को ही विश्व रेडक्रॉस दिवस के तौर पर मनाया जाता है. साल 1901 में हेनरी डिनैंट को उनके मानव सेवा के कार्यों के लिए पहला नोबेल शांति पुरस्कार भी मिला.
एक भयानक युद्ध से मिला रेड क्रॉस का आईडिया
अब सवाल है की आज इतनी बड़ी संस्था रेड क्रॉस जो पुरे विश्वभर में विख्यात है, लोगों की सेवा क्र रहा है. इस संस्था को बनाने का आईडिया आया कहा से.. इसका आईडिया हेनरी को तब आया जब एक ही दिन में एक युद्ध में 40,000 सैनिक मरे गए.
दरअसल, स्विटजरलैंड के उद्यमी जॉन हेनरी डिनैंट 1859 में फ्रांस के सम्राट नेपोलियन तृतीय की तलाश में गए थे. लेकिन डिनैंट को सम्राट नेपोलियन से मिलने का मौका नहीं मिला.
इसीबीच वह इटली गए जहां उन्होंने सोल्फेरिनो का युद्ध देखा. एक ही दिन में उस युद्ध में 40,000 से ज्यादा सैनिक मारे गए और घायल हुए. किसी भी सेना के पास घायल सैनिकों की देखभाल के लिए चिकित्सा कोर नहीं थी.
डिनैंट ने स्वंयसेवकों के एक समूह को संगठित किया. उनलोगों ने घायलों तक खाना और पानी पहुंचाया. घायलों का उपचार किया और उनके परिवार के लोगों को पत्र लिखा.
इस घटना के 3 साल बाद डिनैंट ने अपने इस दुखद अनुभव को एक किताब के रूप में प्रकाशित किय. किताब का नाम था ‘अ मेमरी ऑफ सोल्फेरिनो’.
उन्होंने युद्ध के भयावह दृश्य के बारे में पुस्तक में लिखा था. उन्होंने बताया कि कैसे युद्ध में अपने अंगों को गंवाने वाले लोग कराह रहे थे. उनको मरने के लिए छोड़ दिया गया था. पुस्तक के अंत में उन्होंने एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय सोसायटी की स्थापना का सुझाव दिया था.
ऐसी सोसायटी जो युद्ध में घायल लोगों का इलाज कर सके. ऐसी सोसायटी जो हर नागरिकता के लोगों के लिए काम करे. उनके इस सुझाव पर अगले ही साल अमल किया गया.
रेड क्रॉस की स्थापना
फरवरी, 1863 में जिनीवा पब्लिक वेल्फेयर सोसायटी ने एक कमिटी का गठन किया.
उस कमिटी में स्विटजरलैंड के पांच नागरिक शामिल थे। कमिटी को हेनरी डिनैंट के सुझावों पर गौर करना था. कमिटी के पांच सदस्यों में , जनरल ग्यूमे हेनरी दुफूर, गुस्तावे मोयनियर, लुई ऐपिया, थिओडोर मॉनोइर और हेनरी डिनैंट खुद थे.
ग्यूमे हेनरी दुफूर स्विटजरलैंड की सेना के जनरल थे. एक साल के लिए वह कमिटी के अध्यक्ष रहे और बाद में मानद अध्यक्ष. गुस्तावे युवा वकील थे और पब्लिक वेल्फेयर सोसायटी के अध्यक्ष थे. उसके बाद से उन्होंने अपने जीवन को रेड क्रॉस कार्यों के लिए समर्पित कर दिया। लुई और थिओडोर चिकित्सक थे.
अक्टूबर 1863 में कमिटी की ओर से एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. सम्मेलन में 16 राष्ट्रों के प्रतिनिधियों ने शिरकत की जिसमें कई उपयुक्त प्रस्तावों और सिद्धांतों को अपनाया गय.
इसी सम्मेलन में कमिटी के लिए एक अंतरराष्ट्रीय प्रतीक चिह्न का भी चयन किया गया. उस मौके पर दुनिया के सभी राष्ट्रों से ऐसे स्वैच्छिक संगठनों की स्थापना की अपील की गई जो युद्ध के समय बीमार और जख्मी लोगों की देखभाल करे.
इन यूनिटों को नैशनल रेड क्रॉस सोसायटीज के नाम से जाना गया. बाकी पांच सदस्यों वाली कमिटी को शुरू में International Committee for Relief to the Wounded के नाम से जाना गया. बाद में इसका नाम इंटरनैशनल कमिटी ऑफ द रेड क्रॉस हो गया. गुस्तावे इसके पहले अध्यक्ष बने.