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चमगादड़ों के बसेरे से सहमे लोग, पर्यावरणविदों ने अनुसंधान पर दिया बल

by bnnbharat.com
April 16, 2020
in Uncategorized
चमगादड़ों के बसेरे से सहमे लोग, पर्यावरणविदों ने अनुसंधान पर दिया बल

चमगादड़ों के बसेरे से सहमे लोग, पर्यावरणविदों ने अनुसंधान पर दिया बल

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रांची: नोवेल कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन में चमगादड़ों से ही होने की खबरों के बीच झारखंड में भी लोग अब चमगादड़ों की संख्या को देखकर डर गये है. राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदान इलाके में पेड़ों पर बड़ी संख्या में चमगादड़ों का वास कई वर्षां से रहा है. इन इलाकों में रह रहे लोगों में अब डर-भय समा गया है. वहीं पर्यावरणविद और पशु विशेषज्ञों ने झारखंड में भी चमगादड़ों पर अनुसंधान की आवश्यकता पर बल दिया है.

Also Read This: ICMR ने दी बड़ी जानकारी, भारतीय चमगादड़ों की दो प्रजातियों में मिली ”बैट कोरोना वायरस” की मौजूदगी

आईसीएमआर के एक शोध में यह बात सामने आयी है कि भारत के चार राज्यों में चमगादड़ों में कोरोना वायरस मिलने की पुष्टि हुई है. लिहाजा राज्य में मिलने वाली कई प्रजाति के चमगादड़ों पर रिसर्च की मांग उठने लगी है. पशु-पक्षी वैज्ञानिकों ने राज्य में पाये जानी जाने वाली कई प्रजातियों के चमगादड़ पर रिसर्च और सावधानी बरतने की सलाह दी है. वैज्ञानिकों ने बताया कि आईसीएमआर के रिसर्च में चार राज्यों में चमगादड़ की रॉइटिस और टोपर्स प्रजाति में बैट कोरोना वायरस मिलने की पुष्टि की है.

वहीं पर्यावरणविदों का मानना है कि झारखंड में रिसर्च और सावधानी की जरूरत इसलिए भी है, क्योंकि राज्य के कई इलाकों में लोग चमगादड़ खाते भी हैं. उन्होंने चमगादड़ को वायरस का नेचुरल रिसोर्स बताते हुए कहा कि इस पर झारखंड में भी रिसर्च होना चाहिए, जैसा कि नागालैंड के मिनी गांव में हो रही है. पर्यावरणविद ने लोगों को चमगादड़ों से दूरी बनाने के साथ-साथ उसे खाने में परहेज करना चाहिए. चमगादड़ों पर शोध का यह उचित समय है. देश में चमगादड़ों और वायरस पर होने वाले शोधों में झारखंड को भी शामिल किया जाना चाहिए.

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