विक्रम और बेताल

विक्रम और बेताल की कहानियां, जिसे बेताल पच्चीसी के नाम से भी जाना जाता है। विश्व साहित्य के धरोहरों में से एक हैं। ये सभी कहानियां संस्कृत के एक ग्रंथ बेतालपञ्चविंशतिका में मौजूद हैं। इसमें कई प्ररेणादायक और नेतृत्व क्षमता को बढ़ाने वाली कहानियां शामिल हैं।  इस ग्रंथ के रचयिता भट्टराव थे, जो न्याय के लिये प्रसिद्ध राजा विक्रमादित्य के नौ रत्नों में से एक थे। ये कथाएं राजा विक्रम की न्याय-शक्ति का बोध कराती हैं। बेताल प्रतिदिन एक कहानी सुनाता है और हर कहानी के अंत में राजा विक्रमादित्य से ऐसा प्रश्न कर देता है। वह उत्तर देने के लिए राजा को विवश कर देता है जिससे राजा को उसका उत्तर देना ही पड़ता है। बेताल ने शर्त लगा रखी है कि अगर राजा बोलेगा तो बेताल राजा से रूठकर फिर से पेड़ पर जा लटकेगा और यदि राजा ने उत्तर नहीं दिया तो राजा का मस्तक फट जाएगा और राजा की मृत्यु हो जाएगी । इस वजह से राजा को मजबूर होकर जवाब देना पड़ता था और पहली शर्त के अनुसार राजा के बोलते ही बेताल वापस जाकर पेड़ से उल्टा लटक जाता था। ऐसा होते-होते बेताल ने राजा को 25 कहानियां सुनाई। आखिर क्या था इन 25 कहानियों में और आखिरी यानी 25वीं कहानी सुनाने के बाद क्या होता है, यह जानने के लिए पढ़ें विक्रम बेताल की सभी कहानियां।

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