नई दिल्ली: मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार को कल फ्लोर टेस्ट से गुजरना होगा. गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया. कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट की पूरी प्रक्रिया कल शाम 5 बजे तक पूरी करने को भी कहा है. इससे पहले, भाजपा की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने लगातार दूसरे दिन सुनवाई की.
शीर्ष अदालत ने स्पीकर एनपी प्रजापति से पूछा, ‘क्या वे वीडियो लिंक के जरिए बागी विधायकों से बात कर सकते हैं और फिर उनके बारे में फैसला कर सकते हैं?’ इस पर स्पीकर की तरफ से पेश वकील अभिषेक सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया- ‘नहीं, ऐसा संभव नहीं है.
2 हफ्ते का वक्त मांगा
स्पीकर को मिले विशेषाधिकार को सुप्रीम कोर्ट भी नहीं हटा सकता.’ स्पीकर ने 16 बागी विधायकों के इस्तीफों पर फैसला लेने के लिए 2 हफ्ते का वक्त मांगा. इस पर कोर्ट ने कहा कि इतना समय देना सोने की खदान जैसा होगा, इससे हॉर्स ट्रेडिंग बढ़ेगी. फ्लोर टेस्ट कराने की मांग करती याचिका भाजपा ने दाखिल की है. इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच सुनवाई कर रही है.
स्पीकर ने सुझाव को ठुकराया
बेंच का सुझाव था कि हम बेंगलुरु या कहीं और पर्यवेक्षकों की नियुक्ति कर सकते हैं ताकि बागी विधायक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्पीकर से बात कर सकें. स्पीकर ने इस सुझाव को ठुकरा दिया।
बेंच ने स्पीकर से पूछा कि बागी विधायकों के इस्तीफे के मामले में क्या कोई जांच हुई है और क्या इस पर कोई फैसला किया गया है? इस पर स्पीकर की ओर से पेश वकील सिंघवी ने कहा कि जब कोर्ट स्पीकर को तय वक्त के अंदर कुछ कदम उठाने के निर्देश देने लग जाए तो इससे संवैधानिक दिक्कतें पैदा होंगी.
बेंच ने सभी पक्षों से पूछा कि क्या विधायकों के इस्तीफे या उन्हें अयोग्य करार देने के स्पीकर के किसी भी फैसले से फ्लोर टेस्ट पर असर पड़ेगा? संवैधानिक सिद्धातों पर गौर करें तो विधायकों के इस्तीफे या उनकी अयोग्यता का मुद्दा स्पीकर के सामने लंबित रहने से ट्रस्ट वोट पर कोई रोक नहीं लगती.
इसलिए कोर्ट को दूसरे पहलू की तरफ देखना होगा कि क्या राज्यपाल ने उन्हें मिली शक्तियों से परे जाकर कोई कदम उठाया है? अगर विधानसभा का सत्र नहीं चल रहा है और इस बीच अगर सरकार बहुमत खो देती है ताे राज्यपाल के पास स्पीकर को विश्वास मत परीक्षण कराने का निर्देश देने का अधिकार है.
इस पर स्पीकर ने कहा कि राज्यपाल यह तय नहीं कर सकते कि सरकार के पास बहुमत है या नहीं. यह सदन तय करता है. राज्यपाल को तीन ही अधिकार हैं- सदन का सत्र बुलाएं, सत्र को निलंबित करें या सदन को भंग कर दें.
राज्यपाल लालजी टंडन की ओर से पेश वकील ने बेंच से कहा कि मुख्यमंत्री कमलनाथ एकतरफ बैठे हैं और स्पीकर कोर्ट में राजनीतिक लड़ाई लड़ रहे हैं.
कांग्रेस ने विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई सीटों पर उपचुनाव होने तक फ्लोर टेस्ट नहीं कराने की मांग की. भाजपा ने इसका विरोध किया. कोर्ट ने कहा कि 16 बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल हों या नहीं, लेकिन उन्हें बंधक नहीं रखा जा सकता.
वहीं, विधायकों ने कहा कि स्पीकर को उनके इस्तीफे मंजूर करने का निर्देश दिया जाए. जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ और जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच में कांग्रेस के वकील दुष्यंत दवे, भाजपा के वकील मुकुल रोहतगी, राज्यपाल के वकील तुषार मेहता, स्पीकर के वकील अभिषेक मनु सिंघवी और बागी विधायकों के वकील मनिंदर सिंह ने पैरवी की.
बुधवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा- हम कैसे तय करें कि विधायकों के हलफनामे मर्जी से दिए गए या नहीं? यह संवैधानिक कोर्ट है. हम संविधान के दायरे में कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे. टीवी पर कुछ देखकर तय नहीं कर सकते. 16 बागी विधायक फ्लोर टेस्ट में शामिल हों या नहीं, लेकिन उन्हें बंधक नहीं रखा जा सकता. अब साफ हो चुका है कि वे कोई एक रास्ता चुनेंगे.
उन्होंने जो किया उसके लिए स्वतंत्र प्रक्रिया होनी चाहिए. इसके साथ ही अदालत ने वकीलों से सलाह मांगी कि कैसे विधानसभा में बेरोकटोक आने-जाने और किसी एक का चयन सुनिश्चित हो.