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वेतन वृद्धि और सेवा शर्त की घोषणा शिक्षकों के लिए छलावा: राहुल देव सिंह

by bnnbharat.com
August 20, 2020
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वेतन वृद्धि और सेवा शर्त की घोषणा शिक्षकों के लिए छलावा: राहुल देव सिंह
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-चुनावी शिक्षक सेवा शर्त टीईटी शिक्षको के लिए  छलावा एवं राजनीति से प्रेरित है.

 -टीईटी शिक्षको को राज्यकर्मी एव सहायक शिक्षक का दर्जा नही देना हास्यास्पद

मुंगेर: सरकार के द्वारा नियोजित शिक्षकों के वेतन वृद्धि एवं नई सेवा शर्त को लेकर शिक्षकों में काफी आक्रोश है. जिसे लेकर टीईटी शिक्षक संघ ने प्रेस रिलीज जारी कर अपना आक्रोश जाहिर किया. जिस पर टीईटी शिक्षक संघ के प्रमंडलीय संयोजक ने अपना आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि चायनीज शिक्षक सेवा शर्त के खिलाफ टीईटी शिक्षक संघ पटना में जल्द ही करेगी राज्यव्यापी आन्दोलन और न्यायालय मे भी संध जल्द ही इसे लेकर एक वाद दायर करेगी और इस छलावे भरे सेवा शर्त पर सरकार को आगामी विधानसभा चुनाव में इसका परिणाम भुगतना होगा.

वही टीईटी शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष सह प्रमंडलीय संयोजक राहुल देव सिंह ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि सेवा शर्त मे टीईटी शिक्षको के ऐच्छिक  स्थानांतरण को साजिशन बनाया गया पेचीदा स्थानांतरण से टीईटी शिक्षको को कोई लाभ नही होगा. शिक्षको के अर्जित अवकाश 300 दिनों से घटाकर 120 दिन कर सरकार ने अपनी घृणित एवं विकृत मानसिकता का परिचय दिया है और बिहार सरकार कैबिनेट मे पारित चायनीज चुनावी सेवा शर्त पर कई आपत्ति दर्ज करते हुए आक्रोश व्यक्त किया व उन्होंने बताया की आनन फानन मे बिहार सरकार ने शिक्षकों को चायनीज चुनावी सेवा शर्त दिया है.

जिसका राज्य के तमाम जिले में टीईटी शिक्षकों के द्वारा विरोध किया जा रहा है. चायनीज सेवा शर्त में शिक्षकों के वेतन वृद्धि शिक्षकों के साथ धोखा और छलावा के कुछ भी नही है. सरकार इससे केवल चुनावी लाभ लेकर दोबारा सत्ता में आसीन होना चाहती है. शिक्षकों के ऐच्छिक स्थानांतरण में पुरूष शिक्षकों के लिए म्यूचुअल स्थानांतरण का प्रावधान किया गया है जो की टीईटी शिक्षको के लिए असहनीय और वेदनापूर्ण है.

एक जिले से दुसरे जिले मे पारस्परिक स्थानान्तरण के लिये अपने-अपने विषयगत शिक्षकों को ढूंढना अत्यंत मुश्किल कार्य होगा. उन्होंने स्पष्ट एव तल्ख लहजे में कहा कि शिक्षकों का अर्जित अवकाश 300 दिनों से घटाकर 120 दिन कर दिया गया है साथ ही सेवा निरंतरता लाभ से शिक्षको को वंचित कर भविष्य मे नियुक्त होने वाले शिक्षको को दिया गया है. साथ ही टीईटी शिक्षकों को एसीपी के लाभ से वंचित कर दिया गया है जो चुनावी वर्ष मे सरकार की वोट बैंक की राजनीति को परिलक्षित करता है.

इस संबंध में जिलाध्यक्ष राहुल देव सिंह एव जिला महासचिव प्रभाकर भारती ने संयुक्त रूप से बताया की एक अप्रैल 2021 से मिलने वाली 15% वेतनवृद्धि और ईपीएफ स्कीम के तहत 22% की वेतन वृद्धि कर शिक्षको को उपहासित कर 1800 रुपये ईपीएफ फण्ड मे शिक्षको का अंशदान कट जायेगा जिसके उपरांत टीईटी शिक्षको के वेतन मे मामूली बढ़त होगी. ईपीएफ मामले में राज्य सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा हाल मे लिए गये निर्णय ऐमेण्डमेन्ट का सहारा लेकर जिसमे यह नियोक्ता को अधिकार देता है की राज्य सरकार अपने कर्मचारी को उसके वर्तमान मूल वेतन + महगाई भत्ता का 12% अंशदान नही कर प्रभावी पे-कमीशन द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन 15000 का 12% अंशदान कर कर सकता है.

बिहार सरकार इसी का सहारा लेकर न्यूनतम वेतन पर ही 12% अंशदान करेगी जो की बिहार के राष्ट्र निर्माता के साथ एक भद्दा मजाक है . चायनीज शिक्षक सेवा शर्त मे जीपीएफ,एनपीएस की कोई व्याख्यान नही है जो सत्ताधारी पार्टी के सुशासन सरकार के शिक्षको के प्रति विकृत मानसिकता को दर्शाती है.

वही कहा कि भारत के अन्य राज्य मे टीईटी उत्तीर्ण शिक्षक जो आरटीई-2009 एव एनसीटीई के सभी मानको को पूरा कर शिक्षक नियुक्त होते है उनको नियमित की भाँति सहायक शिक्षक के साथ राज्यकर्मी का दर्जा सहित सारी सुविधाये प्राप्त होती है परन्तु बिहार के तानाशाही निरंकुश सुशासन सरकार ने टीईटी  शिक्षको के सभी मानक पूरा करने के बावजूद इन्हे संवैधानिक अधिकार से वंचित कर चायनीज शिक्षक सेवा शर्त देकर महरूम कर दिया गया है .

जिससे की बिहार के तमाम टीईटी पात्रताधारी शिक्षको मे सुशासन सरकार के खिलाफ रोष व्याप्त हो गया है. जिसका प्रतिकार टीईटी शिक्षको के द्वारा  चायनीज सेवा शर्त की प्रति बिहार के तमाम जिला एवं प्रखण्ड मे जलाकर विरोध प्रदर्शन कर दर्ज किया जायेगा.

साथ ही सेवा शर्त पर कानून के विशेषज्ञ से परामर्श किया जा रहा है जल्द ही चायनीज शिक्षक सेवा शर्त के खिलाफ टीईटी शिक्षक संघ द्वारा  न्यायालय मे वाद दाखिल किया जायेगा.वही जिला संयोजक राकेश कुमार एवं जिला उपाध्यक्ष विकास कुमार ने बताया की निवर्तमान सुशासन की सरकारी पन्द्रह वर्षो के अपने शासनकाल मे बिहार में शिक्षा एवं शिक्षकों को गर्त में धकेल कर अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा को नया आयाम देने में जुटी है.

स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए परिवर्तन अति आवश्यक है अन्यथा शाशक तानाशाह वह निरंकुश होकर जनता पर अत्याचार करने लगती है आगामी विधान सभा चुनाव मे टीईटी शिक्षक संघ एव शिक्षक परिवार के सभी सदस्य द्वारा वोट के चोट से सरकार को उखाड़कर फेंकने का संकल्प ले चुके है.

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