नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई बृहस्पतिवार को राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ लेंगे. वे गुरुवार सुबह 11 बजे शपथ लेंगे. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सरकार की अनुशंसा पर सोमवार को गोगोई को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया था.
गोगोई ने अपने कार्यकाल में अयोध्या भूमि विवाद, राफेल लड़ाकू विमान और सबरीमला में महिलाओं के प्रवेश समेत कई अहम मामलों पर फैसला सुनाने वाली पीठ की अध्यक्षता की थी. गृह मंत्रालय ने सोमवार रात अधिसूचना जारी कर गोगोई को उच्च सदन के लिये मनोनीत करने की घोषणा की थी.
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मधु किश्वर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस रंजन गोगोई को राज्यसभा सदस्य के तौर पर मनोनीत करने के राष्ट्रपति केनिर्णय को चुनौती दी है. याचिका में कहा गया कि न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान के मूलभूत ढांच का हिस्सा है.
न्यायपालिका के प्रति देश के सभी नागरिकों की आस्था है. लेकिन पूर्व चीफ जस्टिस गोगोई को राज्यसभा सदस्य के तौर पर मनोनीत करना इस आस्था पर विपरीत असर डाल रहा है. किश्वर का कहना है कि इससे न्यायिक स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा. इस मनोनयन को राजनीतिक नियुक्ति के तौर पर देखा जा रहा है. याचिका में इस संबंध में जारी अधिसूचना को रोक लगाने की गुहार की गई है.
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राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद द्वारा सोमवार को राज्यसभा के लिए नामित किए गए भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर कई सवाल उठ रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने उनसे सरकार को राफेल मामले में क्लीन चिट देने के मामले में सफाई देने के लिए कहा है.
सिब्बल ने गोगोई की टिप्पणी का जिक्र करते हुए ट्वीट किया कि ‘रंजन गोगोई ने कहा था कि मैं शपथ लेने के बाद मीडिया को बताऊंगा कि मैंने क्यों राज्यसभा जाने का प्रस्ताव स्वीकार किया.