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झारखंड में बजट के अनुमान व वास्तविका में भारी अंतर : सूर्यकांत शुक्ला

by bnnbharat.com
February 17, 2020
in Uncategorized
झारखंड में बजट के अनुमान व वास्तविका में भारी अंतर : सूर्यकांत शुक्ला
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रांची: आर्थिक मामलों के जानकार सूर्यकांत शुक्ला ने कहा कि झारखण्ड राज्य का वार्षिक बजट 4 मार्च 2020 को सदन में पेश किये जाने का प्रस्ताव है जो आगामी वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अनुमानित राजस्व आय, खर्च, विकासदर, राजकोषीय घाटा पूंजीगत खर्च आदि के तमाम विवरणों के आंकड़ों से भरा होगा.

बजट में अनुमानित आंकड़ों की बाजीगरी कुछ इस तरह प्रस्तुत होगी जिससे राजकोषीय घाटा को आकर्षित और अनुशासित दिखाया जा सके. राज्य के सकल धरेलू उत्पादन यानि जीएसडीपी के वृद्धि दर को भी आकर्षक दिखाने की कला का चातुर्य प्रदर्शन होगा. बजट की सच्चाई को हम दो वर्ष बाद ही जान पायेंगे कि वास्तव में राजकोषीय घाटा क्या रहा. 2020-21 के लिए जो बजट डाक्यूमेन्ट सदन में रखे जायेंगे उनसे यह जान पाना संभव हो सकेगा कि वर्ष 2018-19 में वास्तविक राजकोषीय घाटा क्या रहा और यदि हम तबके वर्ष 2018-19 बजट के अनुमान से तुलना करेंगे तो यह वास्तविक फिसकल घाटा दो गुणा या दो गुणा से भी ज्यादा होगा. लेकिन दुखद यह है कि चर्चा का केन्द्र ताजा बजट के आंकड़े होंगे जिनकी सच्चाई हमारे पास नही होती है और दो साल पहले पेश किये गये बजट के आंकड़ों पर कोई चर्चा नही होगी जिसकी सच्चाई हमारी सामने होती है.

बजट गोपनीय दस्तावेज है इसकी गोपनीयता बनाये रखना हम सबके लिए जरूरी है. परन्तु जो बजट सदन पटल पर रखे जा चुके है और जिनकी वास्तविक स्थिति हमारे सामने है. उन पर गौर करने का और कमियों की पहचनान करने का और पहचान कर पायी गयी कमियों को दूर कर पाने का मौका अभी हमारे सामने है ताकि आगामी बजट में किये गये अनुमान वास्तविकता के करीब हो.

वित्त वर्ष 2017-18 के लिए बजट में राजकोषीय घाटे का अनुमान 2.29 प्रतिशत लगाया गया था. जबकि वास्तविक घाटा 4.59 प्रतिशत रहा. जिसको हम 2019-20 के बजट डक्यूमेन्ट से जान पाये. आप ध्यान से गौर करिये तो यह अन्तर डबल से भी ज्यादा है. उसी तरह वित्त वर्ष 2016-17 में राजकोषीय घाटा का अनुमान बजट में 2.16 प्रतिशत रखा गया था जिसे बहुत अनुशासित बताया गया था परन्तु वास्तविक राजकोषीय घाटा बढ़कर 3.99 प्रतिशत रहा जो लगभग डबल जैसा है और जिसे हम कतई अनुशासित नही कह सकते. एक अन्य उदाहरण राजस्व आय के अनुमान और वास्तविक स्थिति के आंकड़ों को सामने रखकर समीक्षा करेंगे तो जमीनी सच्चाई का हमें पता चल पायेगा कि किस कदर ज्यादा आय का अनुमान बजट में करने की परिपाटी रही है.

वित्तवर्ष 2017-18 बजट अनुमान के हिसाब से राज्य की कर राजस्व और कर भिन्न राजस्व आय मिलाकर कुल 31158.16 करोड़ रूपये आंका गया था परन्तु वास्तविक राजस्व आय (कर $ गैर कर) 20200.10 करोड़ रूपये ही था जो बजट अनुमान से 35 प्रतिशत कम था. इसी तरह वित्तवर्ष 2016-17 में कुल कर राजस्व आय के अनुमान 25475.76 करोड़ रूपये के विरूद्ध वास्तविक कर संग्रह मात्र 18643.73 करोड़ रूपये था जो बजट अनुमान से 27 प्रतिशत कम रहा था.

बजट का आकार तो हम साल दर साल बढ़ाते रहे हैं परन्तु विकास दर का अनुमान घटते जा रहा है. वित्तवर्ष 2017-18 में 75672.42 करोड़ रूपये, 2018-19 में 80200 करोड़ रूपये और चालू वित्तवर्ष 2019-20 में 85429 करोड़ रूपये का बजट पेश किया परन्तु विकासदर का जो अनुमान बजट में लगाया गया वह घटते क्रम में है. जैसे रियेल ग्रोथ रेट देखे राज्य के सकल घरेलू उत्पादन में तो वित्तवर्ष 2017-18 में 8.96 प्रतिशत, वित्तवर्ष 2018-19 में 7.03 प्रतिशत और वित्तवर्ष 2019-20 में 6.91 प्रतिशत की वृद्धिदर का बजट में अनुमान है. इसी तरह नॉमिलन ग्रोथ रेट भी वित्तवर्ष 2017-18 की तुलना में वित्तवर्ष 2019-20 में कम रही है.

पूंजीगत व्यय बढ़ाकर राज्य में जीएसडीपी यानि सकल घरेलू उत्पादन में वृद्धि दर हासिल की जा सकती है परन्तु बजट के कर्ताधर्त्ता इस बार पर गौर क्यों नही कर पाये कि पूंजीगत व्यय की राशि साल दर साल बढ़ने के बजाय घट रही है. सदन में प्रस्तुत ’’बजट एक झलक’’ की आंकड़ों पर गौर करने पर यह उजागर होता है कि वित्तवर्ष 2015-16 में कुल व्यय की तुलना में पूंजीगत व्यय का प्रावधान 32.87 प्रतिशत था, जो घटते-घटते चालू वित्तवर्ष में 23 प्रतिशत पर आ गया.

राज्य के सकल घरेल उत्पादन में बढ़ोत्तरी का सीधा सम्बन्ध राज्यवासियों की खुशहाली से जुड़ा है. जब विकासदर बढ़ेगी तो राज्यवासियों की आय में बढ़ोत्तरी होगी और जब विकास दर धीमी होगी तो राज्यवासियों की आय में कमी आयेगी. पूंजीगत खर्च के बढ़ाया जाना राज्य के विकास के लिये अभीष्ट है परन्तु इसका घटते जाना अर्थव्यवस्था के लिये अच्छा संकेत नहीं है. बजट के अनुमानित आंकड़ों और वास्तविक आंकड़ों का काफी अंतर रहा है. जो बजट बनाने की सरकार की शैली पर प्रश्नचिन्ह् खड़ा करता है. उम्मीदी की जानी चाहिए कि राज्य में नई सरकार के आगामी बजट के अनुमान वास्तविकता के ज्यादा करीब होंगे ताकि साल के अंतिम तिमाही में रिसोर्स गैप के वजह से बजट आकार में कटौती करने से बचा जा सके.

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