BnnBharat | bnnbharat.com |
  • समाचार
  • झारखंड
  • बिहार
  • राष्ट्रीय
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • औषधि
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी करेंट अफेयर्स
  • स्वास्थ्य
No Result
View All Result
  • समाचार
  • झारखंड
  • बिहार
  • राष्ट्रीय
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • औषधि
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी करेंट अफेयर्स
  • स्वास्थ्य
No Result
View All Result
BnnBharat | bnnbharat.com |
No Result
View All Result
  • समाचार
  • झारखंड
  • बिहार
  • राष्ट्रीय
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • औषधि
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी करेंट अफेयर्स
  • स्वास्थ्य

मैं ‘अंग’ हूं : …और दशरथ के पुत्री वियोग की साक्षी भी है चम्पा

वह तो काशी नरेश की छोटी बेटी की कोख से जन्मी ऐसी पुत्री थी जिसके सर से जन्म लेने के साथ ही उसकी मां का साया उठ गया था.

by bnnbharat.com
December 15, 2022
in क्या आप जानते हैं ?, भाषा और साहित्य, समाचार
मैं ‘अंग’ हूं : …और दशरथ के पुत्री वियोग की साक्षी भी है चम्पा
Share on FacebookShare on Twitter

जैसा कि मैं पहले कह चुका हूं अंग की माटी पर होने वाले तमाम परिवर्तनों को एक प्रत्यक्षदर्शी यहां बहने वाली चम्पा नदी भी रही है, तो आओ चलते हैं उसके तट पर जहां कभी ‘मालिनी’ नाम की सभ्यता ने अंगड़ाई ली थी. चम्पा के जल में अपना अक्स निहारने वाली मेरी जन्मभूमि, ‘मालिनी’, जिसने मुझे अंगराज के रूप में ख्याति दिलाई. इसी मालिनी में मेरे बाद दूसरे प्रतापी राजा हुए रोमपाद- महान धनुर्धर और अयोध्या नरेश दशरथ के मित्र और सााढू थे. प्रतापी इतने कि मालिनी वासी इस माटी को ‘रोमपादुपु’ तक कहने लगे थे.

इसमें दो मत नहीं कि रोमपाद एक महान योद्धा थे, लेकिन बाल्मीकि रामायण का एक चर्चित और सम्मानित पात्र बनने में वीरता से ज्यादा उनकी सामाजिकता का प्रभाव रहा है और उस प्रभाव को समर्थन दिया इसी चम्पा नदी ने, क्योंकि तब आवाजाही का सुगम मार्ग नदी ही थी. जाहिर हो राजा रोमपाद का कद श्रृंगी ऋषि के मालिनी आगमन के पश्चात ही कद्दावर हुआ, जो जल मार्ग से ही यहां आए थे. यही नहीं ऋषि आगमन के पश्चात मालिनी में एक साथ कई घटनाएं ऐसी घटी जिन्होंने मालिनी को न केवल चर्चा में ला दिया बल्कि उस चर्चा को स्थायित्व प्रदान किया. बदलाव की उस संपूर्ण प्रक्रिया के बीच चम्पा अहर्निश अपने अंदाज में बहती रही, मचलती रही, आगे बढ़ती रही.

लेकिन नदी के साथ आगे की यात्रा की जाए, केवल इसके शांता की असलियत से जुड़ी कहानी का सार-संक्षेप इस सवालों के साथ की कौन थी राजा रोमपाद की दत्तक पुत्री शांता? अगर वह दशरथ- पुत्री थी तो कौन थी उसकी मां? क्या कौशल्या या कैकई अथवा सुमित्रा? उसका जन्म कहां हुआ – अयोध्या या मालिनी में ? वास्तव में शांता के पिता तो अयोध्या के राजकुमार दशरथ और पालक पिता अंगनरेश रोमपाद थे, लेकिन दशरथ की तीनों रानियों कौशल्या, कैकई और सुमित्रा में से कोई भी उसकी जननी नहीं थी. वह तो काशी नरेश की छोटी बेटी की कोख से जन्मी ऐसी पुत्री थी जिसके सर से जन्म लेने के साथ ही उसकी मां का साया उठ गया था.

उस वक्त अयोध्या के राज सिंहासन पर आरूढ़ थे. उसके सख्त मिजाज दादा राजा अज्ज, जिनकी काशी नरेश से पुरानी दुश्मनी थी. यही वजह थी कि अपने पुत्र दशरथ के प्रेम-विवाह को ताउम्र उन्होंने स्वीकार नहीं किया और एक साथ तीन राजकुमारियों के संग दशरथ का विवाह कर दिया. अयोध्या नरेश अज्ज के उक्त निर्णय के बाद रोमपाद की निराशा बढ़ गई, जो अपनी साली (शांता की मां) को इस उम्मीद के साथ ‘मालिनी’ ले आए थे कि दशरथ अपने पिता राजा अज्ज को मनाने में सफल हो जाएंगे. लेकिन ऐसा हुआ नहीं. उधर दशरथ का विवाह 3 राजकुमारियों के साथ हुआ और इधर ‘मालिनी’ में शांता को जन्म देते ही उसकी मां स्वर्ग सिधार गई.

हालांकि अपनी प्रथम पत्नी का श्राद्ध दशरथ ने स्वयं ‘मालिनी’ आकर संपन्न किया, किंतु शांता को अयोध्या ले जाने की उसकी हिम्मत नहीं हुई. उन्होंने शांता को मौसा-मौसी की गोद में डाल दिया और स्वयं अयोध्या लौट गए. इस प्रकार रोमपाद उसके पालक पिता बन गए और शांता बन गई अंग देश की राजकुमारी. राम के वन गमन को न रोक पाने की दशरथ की दारुण व्यथा तो राम कथा के बहाने बहुचर्चित है लेकिन शांता को अवध ना ले जा पाने की उनकी कसक का गवाह चम्पा ही है.

इसे भी पढ़े: मैं अंग हूं : मेरी ‘मालिनी’ बचपन से ही मुझे बड़ी प्रिय थी

Also Read This: मैं अंग हूं: गणिका का वह संपूर्ण श्रृंगार सिर्फ ऋषि के नाम था

क्रमशः…

प्रो. राजेन्द्र प्रसाद सिंह द्वारा रचित “मैं अंग हूं”

Share this:

  • Click to share on Facebook (Opens in new window)
  • Click to share on X (Opens in new window)

Like this:

Like Loading...

Related

Previous Post

पद्मावती की प्रेम-कहानी , पापी कौन ? : विक्रम और बेताल की कहानी – 1

Next Post

बेहतर पालन-पोषण के लिए सकारात्मक सामाजिक नियम अनिवार्य और महत्वपूर्ण हैं (परवरिश-2)

Next Post
बेहतर पालन-पोषण के लिए सकारात्मक सामाजिक नियम अनिवार्य और महत्वपूर्ण हैं (परवरिश-2)

बेहतर पालन-पोषण के लिए सकारात्मक सामाजिक नियम अनिवार्य और महत्वपूर्ण हैं (परवरिश-2)

  • Privacy Policy
  • Admin
  • Advertise with Us
  • Contact Us

© 2025 BNNBHARAT

No Result
View All Result
  • समाचार
  • झारखंड
  • बिहार
  • राष्ट्रीय
  • अंतर्राष्ट्रीय
  • औषधि
  • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी करेंट अफेयर्स
  • स्वास्थ्य

© 2025 BNNBHARAT

%d