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IFS अफसरों ने मांस खरीद में भी खाया कमिशन, जेल गये, क्रिमिनल केस भी जारी

by bnnbharat.com
August 11, 2019
in Uncategorized
IFS अफसरों ने मांस खरीद में भी खाया कमिशन, जेल गये, क्रिमिनल केस भी जारी

IAS officers also ate commissions in meat purchase, went to jail, criminal cases also continue

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रांची : वन विभाग में आरोपी अफसरों की लिस्ट लंबी होती जा रही है. 35 IFS अफसरों पर गंभीर आरोप हैं. अब तक जिन अफसरों पर गंभीर आरोप लगा है, उन पर कारर्वाई के नाम पर सिर्फ लीपापोती ही की गई. कई अफसर रिटायर भी हो गए. IFS अफसरों ने जानवरों का भी हक मारने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी. जानवरों को दिये जाने वाले मांस में भी कमिशन खाया. लगभग 14 लाख रुपये के मांस खरीद में गबन हुआ. इस मामले की भी लीपा-पोती कर दी गई. अब यह मामला ठंढ़े बस्ते में डाल दिया गया है.

क्या है मांस खरीद का मामला

मांस की खरीद अन्य उद्यानों की तुलना में अधिक दर पर की गई. जैविक उद्यान में बाघ को प्रतिदिन 8 किलोग्राम, शेर को प्रतिदिन 10 किलोग्राम, तेंदुआ को प्रतिदिन 6 किलोग्राम, लकड़बग्घा को प्रतिदिन 4 किलोग्राम, गरूड़ को प्रतिदिन 1 किलोग्राम मांस दिया जाता है. घड़ियाल को प्रतिदिन 5 किलोग्राम मछली व मुर्गा दिया जाता है. इन सभी का आरोप पूर्व PCCF वन्य प्राणी प्रदीप कुमार पर लगा.

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50 करोड़ से भी अधिक की अनियमितता

वन विभाग में 35 IFS अफसरों ने 50 करोड़ से भी अधिक की अनियमितता की है. इसमें प्रमुख रूप से हाथी दांत और जानवरों की खाल तस्करी में सहयोग करने, अवैध आरा मिल को लाइसेंस देने, जंगल की जमीन बेचना, कैंपा फंड में घोटाला करने, एफडीए में सरकारी राशि का गबन,सोलर लैंप में घोटाला, सागवान-खैर की लकड़ी बेचने जैसे गंभीर आरोप हैं. इस पर कार्रवाई के नाम पर अब तक सिर्फ लीपा-पोती ही हुई है. IFS अफसर वी जयराम रिटायर तो हो गये हैं, लेकिन वित्तीय अनियमितता के कारण इनके खिलाफ अब तक क्रिमिनल केस चल ही रहा है. सरकार ने इन्हें फरार घोषित भी किया था और वे जेल भी गये.

अभियोजन की स्वीकृति भी मांगी गई

बिहार सरकार ने झारखंड कैडर के तीन IFS अफसरों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मांगी थी. इसके बावजूद राज्य सरकार ने अभियोजन की स्वीकृति नहीं दी. एकीकृत बिहार के समय इन अफसरों पर कई गंभीर आरोप थे. इन अफसरों में बीसी निगम, सर्वेश सिंघल और महेंद्र कर्दम शामिल हैं. इस मामले को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.

इन प्रमुख अफसरों पर क्या है आरोप

धीरेंद्र कुमार : झारक्राफ्ट के पूर्व एमडी: हाथी दांत तस्करी का आरोप
प्रदीप कुमार : पूर्व पीसीसीएफ- मांस खरीद में अनियमितता का आरोप
सीपी खंडूजा : अवैध आरा मिल को लाइसेंस देने का आरोप
प्रदीप कुमार : पूर्व पीसीसीएफ ,जंगल की जमीन बेचने का आरोप
बीएन द्विवेदी : राशि गबन का आरोप
आरके सिन्हा : राशि गबन का आरोप
सत्यजीत सिंह : सागवान और खैर की लकड़ी बेचने का आरोप
केएन ठाकुर : सरकारी वाहन बेचने का आरोप
कुमार आशुतोष : एफडीए में सरकारी राशि के गबन का आरोप
अजीत कुमार सिंह : कैंपा फंड में घोटाला का आरोप
नागेंद्र बैठा : कैंपा फंड में घोटाला का आरोप
यूएन विश्वास : कुनकी हाथी लाने में अनियमितता का आरोप
रवि रंजन : सरकारी राशि के गबन का आरोप

इन अफसरों पर भी हैं आरोप

बीसी निगम,सर्वेश सिंगल,महेंद्र कर्दम,पीसी मिश्र,अरविंद कुमार,नरेंद्र मिश्र,एके प्रभाकर,बलराम खालखो, शिवाशीष राम और वी जयराम

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इन अफसरों पर चल रही है विभागीय कार्रवाई

आरके सिन्हा: 1988 बैच के IFS अफसर आरके सिन्हा पर प्रदूषण बोर्ड में सचिव रहते हुए अनियमितता का आरोप लगा. इसके बाद लातेहार में डीएफओ रहते हुए वित्तीय अनियमितता का आरोप लगा. इनके खिलाफ विभागीय कारर्वाई जारी है. 1988 बैच के होते हुए भी अब तक डीएफओ के पद पर ही तैनात है. इन्हें अब तक कोई प्रमोशन नहीं मिला है.

पारितोष उपाध्याय: पारितोष उपाध्याय वन संरक्षक (सीएफ) रैंक के अफसर हैं. उपाध्याय 1992 बैच के हैं. बांस गैबियन में अनियमितता बरतने का आरोप है.

राजीव रंजन: 1998 बैच के IFS अफसर हैं. इनके खिलाफ पौधारोपण में गड़बड़ी और जंगल की जमीन हेरा-फेरी करने का आरोप है. इनके खिलाफ मुख्यमंत्री जनसंवाद केंद्र में भी शिकायत की गई थी. हजारीबाग में 1600 एकड़ वन भूमि के गायब होने का मामला इनसे जुड़ा हुआ है.

पीसी मिश्रा: अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (एपीसीसीएफ) रैंक के अफसर पीसी मिश्रा के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई चल रही है. खेल गांव में हुए घोटाले में इनका मामला निगरानी में भी चल रहा है.हालांकि वे इस साल फरवरी में रिटायर भी हो गए.

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