गढ़वा: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर देश में पूर्ण तालाबंदी के बीच लोगों के समक्ष न सिर्फ भोजन, राशन-पानी और रोजगार को लेकर ही गंभीर संकट की स्थिति उत्पन्न नहीं हुई है, बल्कि इस लॉकडाउन के कारण मरीज और उनके परिजन भी खासे परेशान हैं.
ऐसी ही परेशानी लॉकडाउन के दौरान कई हिस्सों से उभर कर सामने आ रही है. ऐसी मजबूरियां लोगों के दिल और दिमाग दोनों को झकझोर जाती है. गढ़वा शहर की सड़कों पर जहां अपने बीमार पिता को हॉस्पिटल ले जाने के लिए एम्बुलेंस या गाड़ी नहीं मिली तो बेटा बीमार पिता को ही ठेले पर लिटा कर इलाज कराने के लिए अस्पताल चल आया.
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बताया गया है कि शहर के सोनपुरवा निवासी उपेंद्र पासवान को अपने बीमार पिता को इलाज के लिए अस्पताल ले जाने के लिए गाड़ी नहीं मिली तो वह ठेले पर ही पिता को बैठाकर एक निजी क्लिनिक पहुंच गया. बेटा कहता है कि गाड़ी लॉकडाउन में नहीं चल रही है और चल भी रही है तो ज्यादा पैसे मांग रही है, हम क्या करें इलाज कराने को पैसे नहीं है तो भाड़ा कहां से देंगे.
वहीं बीमार की पत्नी कुंती देवी का कहना है कि गांव-मुहल्ले के किसी परिचित से एक हजार कर्ज लेकर इलाज के लिए जा रहे है. इस कोरोना वायरस के बाद जारी लॉकडाउन में हमलोगों के पास न तो काम है और ना ही पैसा. बहुत दिक्कत हो गया है मजबूरी है क्या करें ?