प्रमुख संवाददाता : उपेन्द्र सिंह की रिर्पोट
रांची :8 जुलाई: झारखंड विधानसभा चुनाव में भी महागठबंधन के दल साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे। झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ऐलान कर चुके है । महागठबंधन की पार्टियां सीटों के बंटवारे को लेकर फैसला कर लेंगी। विधानसभा चुनाव झामुमो के नेतृत्व में लड़ा जाएगा। हेमंत सोरेन ने झामुमो केंद्रीय कार्यसमिति की बैठक के बाद ये बातें कहीं थी।

पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने कहा था कि विधानसभा चुनाव के दौरान प्रवासी मुख्यमंत्री भगाओ झारखंड बचाओ का नारा देकर चुनाव लड़ेंगे। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने महागठबंधन का नेतृत्व किया था, लोकसभा में कांग्रेस सात सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिसमें एक सीट पर झामुमो को सफलता मिली थी। विधानसभा में झामुमो सर्वाधिक सीटों पर अपनी दावेदारी ठोकेगी लेकिन लोकसभा में मात खा चुके कांग्रेस को शायद ही यह बात रास आये क्योंकी फिलहाल झारखंड कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं का बड़ा खेमा गठबंधन में चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं है।
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झारखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं, और अगले महीने से प्रक्रिया भी शुरू हो जाएगी मगर महागठबंधन में शामिल दल अपने-अपने राग अलाप रहे हैं ।झारखंड में विपक्ष टूटकर बिखर गया है। बीजेपी से मुकाबले के लिए बना विपक्षी महागठबंधन धराशाई है।

महागठबंधन में लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद एकता में आयी दरार को पाटने में अभी काफी पापड़ बेलने पड़ सकते है और इसका नतीजा सिफर भी आये तो अचरज की बात नही है, झारखंड में विधानसभा चुनाव तय समय पर होने हैं, मगर महागठबंधन में शामिल दल अपने-अपने राग अलाप रहे हैं।

लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के विजय रथ को झारखंड में रोकने के लिए कांग्रेस के नेतृत्व में झारखंड मुक्ति मोर्चा झारखंड विकास मोर्चा और राष्ट्रीय जनता दल ने मिलकर महागठबंधन बनाया था, परंतु चुनाव के दौरान ही चतरा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस के उतरने से महागठबंधन की दीवार दरकने लगी थी इसके बाद तो भाजपा के हाथों मिली करारी हार के बाद महागठबंधन के दल और नेता एक-दूसरे पर ही हार का ठिकरा फोड़ते नजर आए , ‘कांग्रेस पिछले कई चुनावों में गठबंधन के साथ चुनाव में उतरती रही है लेकिन कांग्रेस पिछड़ती जिसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा है।
कांग्रेस का बड़ा खेमा चाहता है कि इस बार अकेले ही चुनावी जंग में उतर कर ज्यादा से ज्यादा विधानसभा सीटों पर लड़ने की मंशा जता चुके है लेकिन केंद्रीय अध्यक्ष हो या प्रदेश अध्यक्ष फिलहाल दल कौन बनेगा अध्यक्ष के भंवर में झूल रहा है।इधर झाविमो ,राजद,जदयू जैसे दल ही अपने पार्टी के अंदरूनी घाव को सहलाने में लगे हुये है बाम दलो में भी एकता बनती नहीं दिख रही है।
विपक्षी एकता की बानगी मॉनसून सत्र में स्थानीयता और मोबलिंचीग पर ही दिख जाएगी लेकिन यह एकता सदन के बाहर शायद ही दिख पाए फिलहाल विधानसभा चुनाव से पहले झारखंड कोंग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ बगावती सुर दिखाई दिख रहे है जिसे शांत करने के लिये एक विकल्प नजर आ रहा है वह है कि अधिकांश सीटों पर उम्मीदवार देकर आक्रोश कम किया जा सकता है और दुमका में गुरुजी की हार के बाद झा मु मो भी संशनकित है और कांग्रेस झामुमो के सभी शर्तो को मानने के लिये उतनी तैयार नही हो पाएगी चुनाव की घोषणा तक महागठबंधन को कई तूफान झेलना पड़ सकता है इसकी सुगबुगाहट दिख रही है।

