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राजीव गांधी हत्याकांड: उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी को पेरोल

by bnnbharat.com
July 5, 2019
in समाचार
राजीव गांधी हत्याकांड: उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी को पेरोल
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पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी नलिनी को 30 दिनों की पेरोल मिल गई है। मद्रास हाईकोर्ट ने शुक्रवार को उम्रकैद की सजा काट रही नलिनी श्रीहरन को पेरोल दी। इससे पहले अप्रैल महीने में मद्रास हाईकोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी नलिनी की एक याचिका पर तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किया था। इस याचिका में अनुरोध किया गया था कि उसे अपनी बेटी की शादी के मद्देनजर छह महीने के साधारण अवकाश की उसकी याचिका पर दलील पेश करने के लिये व्यक्तिगत रूप से पक्ष रखने दिया जाए।

नलिनी को राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी ठहराया गया था और मौत की सजा सुनाई गयी थी। बाद में सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया। इस मामले में छह अन्य लोग भी उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। राजीव गांधी की हत्या मामले में उम्र कैद की सजा काट रही नलिनी श्रीधर को तीस दिनों को परोल दे दी गई है। शुक्रवार को मद्रास हाई कोर्ट नलिनी की परोल मंजूर कर ली। नलिनी ने अपनी बेटी की शादी करने के लिए हाई कोर्ट से छह महीने की परोल मांगी थी।

नलिनी पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में छह अन्य दोषियों के साथ उम्रकैद की सजा काट रही हैं। नलिनी ने अपनी बेटी की शादी की तैयारियों के लिए छह महीने की परोल मांगी थी। उन्होंने इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट में एक याचिका दायर करके अपनी पैरवी खुद करने की अनुमति मांगी थी। नलिनी की इस अनुमति पर हाई कोर्ट ने कहा था कि अदालत में उपस्थित होकर अपनी याचिका की पैरवी करने के अधिकार से नलिनी श्रीहरन को वंचित नहीं किया जा सकता है।

नलिनी पिछले 27 साल से जेल में बंद हैं। उन्होंने कहा कि उम्रकैद की सजा पाने वाले किसी भी कैदी को दो साल में एक महीने का अवकाश लेने का अधिकार है, लेकिन उसने 27 साल तक जेल में बंद रहने के बावजूद इस सुविधा का कभी लाभ नहीं लिया। उन्होंने कहा कि उन्हें अपनी बेटी की शादी की तैयारियों के लिए छह महीने की छुट्टी दी जाए। जिस पर जस्‍टिस एमएम सुंदरेश और जस्‍टिस एम निर्मल कुमार ने उन्हें परोल दे दी।

नलिनी को राजीव गांधी हत्याकांड में मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में तमिलनाडु सरकार ने 24 अप्रैल, 2000 को इसे उम्रकैद की सजा में बदल दिया। उसका दावा है कि मौत की सजा उम्रकैद में बदलने के बाद से 10 साल या उससे कम समय की सजा काट चुके करीब 3,700 कैदियों को राज्य सरकार रिहा कर चुकी है।
नलिनी ने अपनी अपील में कहा कि उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों की समय पूर्व रिहाई की 1994 की योजना के तहत समय पूर्व रिहाई के उसके अनुरोध को राज्य मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दे दी थी और नौ सितंबर, 2018 को तमिलनाडु मंत्रिपरिषद ने राज्यपाल को उसे और मामले के छह अन्य दोषियों को रिहा करने की सलाह दी थी, लेकिन अभी तक उसका पालन नहीं हुआ है।

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