नई दिल्ली.सुप्रीम कोर्ट ने स्नातकोत्तर मेडिकल एडमिशन (pg admission) में ews और obc आरक्षण को बरकरार रखा है. शुक्रवार को न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और एएस बोपन्ना की पीठ ने यह फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि उसने obc की वैधता बरकरार रखी है. ews में भी वर्तमान क्राइटेरिया बरकरार रखा गया है ताकि इस अकादमिक सत्र के लिए एडमिशंस में दिक्कत न आए. अदालत ने कहा कि वह पांडेय समिति की सिफारिशों को अगले साल से लागू करने को मंजूरी देती है. बेंच ने मार्च के तीसरे हफ्ते में याचिका पर अंतिम सुनवाई करने का फैसला किया. तब पांडेय समिति की ओर से दिए गए ews क्राइटेरिया की वैधता तय की जाएगी.कल सुरक्षित रखा था फैसला
अदालत ने मामले में पक्षों को सुनने के बाद गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था. याचिकाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग (obc) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण और स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए अखिल भारतीय कोटा सीटों में ews के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती दी गई थी. neet के माध्यम से चयनित उम्मीदवारों में से mbbs में 15 प्रतिशत सीटें और ms और md पाठ्यक्रमों में 50 प्रतिशत सीटें अखिल भारतीय कोटा के माध्यम से भरी जाती हैं.कल सुरक्षित रखा था फैसला
अदालत ने मामले में पक्षों को सुनने के बाद गुरुवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था. याचिकाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग (obc) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण और स्नातकोत्तर चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए अखिल भारतीय कोटा सीटों में ews के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को चुनौती दी गई थी. neet के माध्यम से चयनित उम्मीदवारों में से mbbs में 15 प्रतिशत सीटें और ms और md पाठ्यक्रमों में 50 प्रतिशत सीटें अखिल भारतीय कोटा के माध्यम से भरी जाती हैं.अदालत में केंद्र ने क्या कहा?
केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 27 फीसदी ओबीसी कोटा और 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस के लिए आरक्षण दिया जा रहा है. यह जनवरी 2019 से लागू है. यूपीएससी में भी यही कोटा दिया जा रहा है. इस मामले में जनरल कैटिगरी को सीटों की हानि नहीं हुई है, बल्कि सीटों की संख्या 25 फीसदी बढ़ा दी गई है. पीजी कोर्स में रिजर्वेशन के लिए कोई मनाही नहीं है.क्या है केंद्र सरकार का फैसला?
केंद्र सरकार ने 29 जुलाई को नोटिफिकेशन जारी कर मेडिकल कोर्स में एडमिशन के लिए आयोजित होने वाले नीट परीक्षा में ऑल इंडिया कोटा के तहत ओबीसी को 27 फीसदी और आर्थिक तौर पर कमजोर स्टूडेंट को 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला किया है. सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है.

