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घूस और कमीशन लेने में पीछे नहीं हैं राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर

by bnnbharat.com
July 11, 2019
in समाचार
घूस और कमिश्न लेने में पीछे नहीं हैं राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर

घूस और कमिश्न लेने में पीछे नहीं हैं राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर

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रांची: राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर आरोपों और विवादों से जुदा नहीं है। इन अफसरों पर घूस लेने से लेकर जमीन की हेराफेरी का आरोप है। पिछले एक साल में छह अफसर घूस लेते एसीबी के हत्थे चढ़ गये। जमीन के अवैध हस्तांतरण में भी कई अफसर लपेटे में आ गये। एक साल के अंदर राज्य प्रशासनिक सेवा के सात अफसर बर्खास्त भी हो चुके हैं।

यहां तक कि अफसरों ने सीएनटी को ताक में रखकर जमीन की अवैध हस्तांतरण में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। कई अफसरों को निंदन और पेंशन में कटौती का आदेश दिया गया है। इन सभी पर जमीन का अवैध हस्तांतरण, मनरेगा, इंदिरा आवास योजना सहित अन्य योजनाओं में वित्तीय अनियमितता का आरोप है।

जानिये अफसरों पर क्या है गंभीर आरोप

दिनेश प्रसाद: तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी, रांची; एसीबी न्यायालय ने दो साल सश्रम कारावास और 20 हजार रुपये का अथर्दंड की सजा सुनायी।

विनोद कुमार झा(उपसमाहर्ता): वित्तीय अनियमितता का आरोप; एक वेतन वृद्धि पर रोक

नमिता नलिनी बाखला: आदेश की अवहेलना और अधसूचित पद पर योगदान नहीं देने के आरोप।

अभय कुमार झा (सीओ): कर्तव्य में लापरवाही के आरोप

अरूण उरांव: निगरानी धावा दल द्वारा गिरफ्तार

अशोक कुमार सिन्हा (बीडीओ): घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

मनोज कुमार तिवारी (सीओ): घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

संतोष कुमार चौधरी: मनरेगा में वित्तीय अनियमितता का आरोप

हेमा प्रसाद (सीओ): जमीन के अवैध हस्तांतरण का आरोप।

अंचना दास (सीओ): कर्त्तव्य में लापरवाही

जामनी कांत (कार्यपालक दंडाधिकारी) : घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार

इन अफसरों को भी मिला दंड

रवींद्र नाथ पांडा: पेंशन कटौती

संजय कुमार सिन्हा: दंड अधिरोपण

नीतू कुमारी: विभागीय कार्यवाही

अमित कुमार पांडेय: दंड अधिरोपण

छवि बाला बारला: दंड अधिरोपण

राजीव नीरज: चेतावनी

चंद्र किशोर मंडल: दंड अधिरोपण

विमल सोरेन: निंदन

मुजफ्फर अली: पेंशन कटौती

सुरजीत सिंह: दंड अधिरोपण

विनोद झा: दंड

ये हो चुके हैं बर्खास्त

 

जेवियर हेरेंज:

तत्कालीन विशेष विनियन पदाधिकारी जेवियर हेरेंज पर सीएनटी की धारा 71(ए) का दुरुपयोग करने के आरोप लगा। हेरेंज ने बिना जांच किये आदिवासी जमीन के लिए क्षति पूर्ति निर्धारित कर भूमि का अवैध हस्तांतरण कर दिया।

अर्जुन राम:

इंदिरा आवास योजना के तहत कुल नौ चेक के द्वारा 41,69,880 रुपये का भुगतान कर दिया। एक लाख रूपये रिश्वत लेने का आरोप प्रमाणित हुआ। 8,96,700 रुपये की फर्जी निकासी कर ली।

आगुस्टिन प्रफुल्ल बेक: हंटरगंज के तत्कालीन बीडीओ

आगुस्टिन प्रफुल्ल बेक ने इंदिरा आवास योजना के कार्यान्वयन में अनियमितता बरती। गलत ढंग से लाभुकों का चयन किया। एक ही भूमि की दोहरी जमाबंदी की। सरकार ने अनिवार्य सेवानिवृति का आदेश दिया।

निर्मल टोप्पो:
तत्कालीन चास सीओ निर्मल टोप्पो ने वन भूमि का गलत ढंग से उत्तराधिकारी नामांतरण कर दिया। साथ ही बिना सूचना व अनुमति के अनाधिकृत रुप से अनुपस्थित रहे।

डॉ अनवर हुसैन:
जरीडीह के तत्कालीन बीडीओ डॉ अनवर हुसैन पर मिट्टी मोरम पथ योजना और रोकड़ पंजी निर्धारण में गंभीर वित्तीय अनियमितता बरतने का आरोप लगा। सरकार ने बर्खास्त किया।
उदय कांत पाठक:
जमीन सहित कई योजनाओं में अनिनियमितता का आरोप। सरकार ने बर्खास्त किया।
सतीश कुमार :
घूस लेते रंगे हाथ पकड़ाये. सरकार ने बर्खास्त किया।

इन अफसरों पर भी गिरेगी गाज

शारदानंद देव: कोडरमा के तत्कालीन भू – अर्जन

पदाधिकारी शारदानंद देव पर रैयतों से कमीशन लेने का आरोप है। शारदानंद ने कोडरमा-रांची रेल लाइन निर्माण के लिए चंदवारा मौजा में महेंद्र कुशवाहा व अन्य 12 रैयतों की 12 एकड़ 54 डिसमिल अधिग्रधित जमीन के लिए अनुमान्य मुआवजा राशि के भुगतान में 10 फीसदी की दर से कमीशन के रूप में राशि वसूली का आरोप है। कोडरमा डीसी की रिपोर्ट के अनुसार प्रथम दृष्टया में यह आरोप प्रमाणित पाया गया है।

रवींद्र चौधरी: गुमला के डुमरी प्रखंड के तत्कालीन बीडीओ

रवींद्र चौधरी पर मनरेगा कानून के उल्लंघन का आरोप है। इसके तहत प्रखंड में कार्यान्वित पौधारोपण एवं अन्य योजनाओं का सही ढंग से निरीक्षण एवं पयर्वेक्षण नहीं करने का आरोप है। सरकारी राशि के गबन व दुरुपयोग में स्वयं सेवी संस्थाओं को लाभ पहुंचाने का भी आरोप है। गुमला डीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार, प्रथम दृष्टया में आरोप प्रमाणित पाया गया है। विभागीय कार्यवाही चल रही है।

नागेंद्र शर्मा:
देवघर नगर निगम के तत्कालीन उप मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी नागेंद्र शर्मा के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही है। शर्मा के खिलाफ वित्तीय अनियमितता, प्रशासनिक अक्षमता, दुराचार को बढ़ावा देने, अनुशासनहीनता, स्वेच्छाचारिता एवं सरकारी कार्यों में शिथिलता बरतने का आरोप है।

 

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