आतंकी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच पाकिस्तान में बुधवार को जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद और उसके 12 सहयोगियों के खिलाफ आतंकी फंडिंग के 23 मामले दर्ज किए गए। पाकिस्तान के आतंकरोधी विभाग ने एक बयान जारी कर बताया कि आतंकी फंडिंग के लिए पांच ट्रस्टों का इस्तेमाल करने के लिए उनके खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। बयान के मुताबिक, लश्कर ए तैयबा से जुड़े जमात उद दावा और फलाह ए इंसानियत फाउंडेशन को भी निशाना बनाया गया है। विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘इन लोगों और संगठनों की सभी संपत्तियों को फ्रीज कर दिया जाएगा और बाद में सरकार इन्हें जब्त कर लेगी।’ विभाग ने बताया कि सरकार की यह कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों के मुताबिक है।
हालांकि भारत ने पाकिस्तान की इस कार्रवाई को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा कि इस तरह की कार्रवाई हम पहले भी देख चुके हैं. सरकारी सूत्रों ने यह बात कही. नई दिल्ली की तरफ से इस्लामाबाद से कहा गया कि वह अपने नियंत्रण वाले किसी भी क्षेत्र मे आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करे और आतंक के वित्तपोषण पर रोक लगाए.
जमात-उद-दावा के चार मुख्य सदस्य, जिन पर यह कार्रवाई की गई है वे हैं, हाफिज मोहम्मद सईद, अब्दुल रहमान मक्की (हाफिज सईद का बहनोई), आमिर हमजा और मोहम्मद याहया अजीज. वहीं, हाफिज की जिन प्रमुख ट्रस्टों के खिलाफ यह कार्रवाई की गई हैं, वह हैं- – दावत इरशाद ट्रस्ट, मोअज़ बिन जबल ट्रस्ट, अल-अनफाल ट्रस्ट, अल-मदीना फाउंडेशन ट्रस्ट और अल-हम्द ट्रस्ट जो लाहौर, गुजरांवाला और मुल्तान जैसे प्रमुख पाकिस्तानी शहरों से काम कर रही हैं.

