पाकिस्तान में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को सुनाई गई सज़ा पर एक बार फिर राजनीति गरमा गई है.
उनकी बेटी मरियम नवाज़ ने जज पर दबाव में सज़ा देने के आरोप लगाए हैं
हालाँकि पाकिस्तान में भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई करने वाली इस्लामाबाद की जवाबदेही कोर्ट के जज मोहम्मद अरशद मलिक ने मरियम नवाज़ के इन आरोपों को झूठा क़रार दिया है. मरियम ने दावा किया है कि ‘जज मलिक ने नवाज़ शरीफ़ के ख़िलाफ़ दबाव में फैसला लिखने की बात ख़ुद स्वीकार की थी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएलएन) की नेता मरियम नवाज़ ने अपने आरोपों को साबित करने के लिए शनिवार को एक प्रेस कांफ्रेंस कर वीडियो जारी किया. इस वीडियो में कथित रूप से जज अरशद मलिक पीएमएलएन के समर्थक नसीर बट्ट से ये कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि शरीफ़ के ख़िलाफ़ फैसला लिखने के लिए उन्हें ‘ब्लैकमेल किया गया और दबाव’ डाला गया.इस दावे के बाद पूरे पाकिस्तान में हंगामा खड़ा हो गया जिसके बाद जज की ओर से अदालत के रजिस्ट्रार ने रविवार की दोपहर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इसका खंडन किया और इसे ग़लत, धोखाधड़ी और बेबुनियाद बताया.
विज्ञप्ति में कहा गया है, “‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मुझ पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई दबाव नहीं था, ना ही कोई लालच दिया गया. मैंने यह निर्णय खुदा को साक्षी मानते हुए सबूतों के आधार पर दिया है.”उन्होंने कहा है, “ये प्रेस कांफ्रेंस केवल मेरे फैसले को धूमिल करने और राजनीतिक लाभ पाने के मकसद से की गई. इसमें शामिल लोगों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए.”
जज मलिक ने अपने बयान में आरोप लगाया कि, “नवाज़ शरीफ़ और उनके परिवार के ख़िलाफ़ सुनवाई के दौरान उनके प्रतिनिधियों ने मुझे बार बार रिश्वत देने की कोशिश की और सहयोग न करने की स्थिति में गंभीर नतीजे झेलने की धमकी तक दी गई.”उन्होंने कहा है, “अगर दबाव या लालच में मैंने फैसला लिखा होता तो मैं उन्हें एक मामले में बरी और दूसरे में दोषी करार नहीं दिया होता.”
जज मलिक ने चार दिसम्बर 2018 को पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ को अल अज़ीज़िया स्टील मिल्स भ्रष्टाचार मामले में सात साल जेल की सज़ा सुनाई थी लेकिन उसी दिन फ़्लैगशिप इनवेस्टमेंट के मामले में बरी कर दिया था.मरियम नवाज़ ने प्रेस कान्फ्रेंस में आरोप लगाया था कि पनामा मामले में नवाज़ शरीफ़ को जेल भेजने वाले जज अरशद मलिक पर ‘अज्ञात’ लोगों का दबाव था.
मरियम ने कहा कि उनके पिता को और अधिक जेल में बंद कर नहीं रखा जाना चाहिए. उन्होंने वीडियो को सबूत के तौर पर इस्लामाबाद हाईकोर्ट में पेश करने के भी संकेत दिए हैं.इमरान ख़ान सरकार ने कहा है कि इस वीडियो के साथ छेड़ छाड़ की गई है और इसकी फ़ोरेंसिक जांच की मांग की. सरकार ने इसे ‘न्यायपालिका पर हमला’ क़रार दिया है. साथ ही सूचना और प्रसारण मामले में प्रधानमंत्री के विशेष सहयोगी फ़िरदौस आशिक ने वीडियो की जांच की घोषणा की है.69 वर्षीय पूर्व प्रधानमंत्री और पीएमएलएन के मुख़िया रहे नवाज़ शरीफ़ इस समय लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद हैं.

