ज्योत्सना
खूंटी: नक्सली घटनाओं के लिए संवेदनशील इलाके के रूप में अपनी पहचान बना चुका खूंटी जिला अब विदेशी कलाकारों के लिए शूटिंग की पसंदीदा स्थल बनती जा रही है. हाल के दिनों में जंगल पहाड़ों और खतरनाक इलाकों में बगैर पुलिसकर्मियों की सुरक्षा व्यवस्था के देशी और विदेशी कलाकार शूटिंग में व्यस्त है. अंग्रेजों के समय बिरसा मुंडा को ब्रिटिश सैनिकों ने हिरासत में लेकर खूंटी थाना हाजत में रखा था.
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भगवान बिरसा मुंडा ने जिस ऐतिहासिक ड़ूम्बारी बुरु पर अंग्रेजों से लोहा लिया था, जिसमें लगभग चार सौ मुण्डा पुरुष और आदिवासी महिलाएं दूधमुंहे बच्चों को अपनी पीठ पर बांधकर अंग्रेजों से जमीन, जंगल की रक्षा के लिए अपनी कुर्बानियां दी थी. उसी ड़ूम्बारी बुरु के शिखर पर बॉलीवुड के देशी और विदेशी कलाकार एक बार फिर अंग्रेजों और मुंडाओं के गुरिल्ला युद्ध कौशल को जीवंत बनाने में जुटे हैं.
बिरसा मुंडा आधारित थ्री-डी बायोपिक के डायरेक्टर राजन खोसा हर उस पहलू को फ़िल्म में समेटने की कोशिश में जुटे हैं, जो ब्रिटिश काल और जंगल-जमीन से जुड़े मुण्डा आदिवासियों के वीरता की गाथा को हु-ब-हू फ़िल्म के माध्यम से पर्दे पर उतार सकें. शूटिंग में हर छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखा गया है. बांस के बने देशी तीर-धनुष, बांस के ढ़ाल, मिट्टी के बर्तन, डंडे, तलवार और पगड़ी-धोती के साथ शूटिंग कर रहे आदिवासी मुण्डा बॉलीवुड कलाकारों के साथ ऐक्टिंग करते हुए अपना देशी अंदाज बरकरार रखे हैं. बायोपिक में बिरसा मुण्डा की जीवनी फिल्माते हुए पौराणिक तौर तरीकों, पूजा पाठ और ब्रिटिशकालीन भारत मे मुण्डा आदिवासियों की संस्कृति को मूल रूप में बनाये रखने की पूरी कोशिश की गई है.
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दूसरी तरफ ब्रिटिश साम्राज्य को पर्दे पर दिखाने के लिए बॉलीवुड के विदेशी कलाकार फ्रांस के मीरको कोयनाका और यूएसए के रेमिंड फ्रांसिस्को भी खूंटी के जंगल पहाड़ों में खूब पसीना बहा रहे हैं. हिंदी फिल्म मणिकर्णिका में बिलेन का किरदार निभाने वाले मीरको कोयनाका पहली बार झारखंड के जंगल पहाड़ों में शूटिंग कर रहे हैं. शूटिंग करते हुए बातचीत में उन्होंने बताया कि बिरसा मुंडा की बायोपिक करते हुए गर्व महसूस कर रहे है. मणिकर्णिका भी वीररस से पूर्ण फ़िल्म की शूटिंग थी और अब आदिवासी महानायक बिरसा मुंडा की फ़िल्म शूट करते हुए, यहां की कला संस्कृतिनको जानने का मौका मिला है. कैसे जंगल जमीन से जुड़े आदिवासियों ने अपने हक और अधिकार के लिए ब्रिटिश सैनिकों से बंदूक के आगे तीर धनुष से लड़ते हुए भी हार नहीं मानी. यहां की महिलाएं भी अंग्रेजों से लोहा लेने में पुरुषों के साथ अंतिम क्षण तक डटे रहे.
यूएसए से आए एक्टर रेमिंड फ्रांसिस्को बिरसा मुंडा की फ़िल्म में डिप्टी कमिश्नर की भूमिका निभा रहे हैं. खूंटी की हरी भरी वादियों की देखकर उन्होंने कहा कि यहां का प्राकृतिक दृश्य जितना मनोरम है वैसे ही यहां के लोग बहुत सरल और ईमानदार हैं. फ़िल्म के डॉयरेक्टर राजन खोसा ने बताया कि भगवान बिरसा मुंडा को देश विदेश में भी भगवान माना जाता है.
भगवान बिरसा मुंडा आधारित थ्री डी बायोपिक फ़िल्म में अंग्रेजो के काल में आदिवासी मुंडाओं ने किस तरह गोलबंद होकर *अबुआ दिसुम अबुआ राइज* के आंदोलन को बुलंद किया, इसकी पूरी गाथा एक बायोपिक के माध्यम से झारखंड सरकार द्वारा निर्मित म्यूजियम में हर दिन पर्यटकों के लिए स्क्रीन पर चलती रहेगी. इसमें मुंडाओं की कला संस्कृति, पर्व त्योहार, करमा, सरहुल, पाइका नृत्य हर पहलू को फ़िल्म में दिखाने की पूरी कोशिश की गई है. अमरदीप बहल पूरी फिल्म के डिजाईनर हैं.
एक सौ बीस लोगों की प्रॉफेशनल फ़िल्म निर्माता, एक्शन डिजाईनर, फैशन, मेकअप हर तरह के लोगों की टीम है. जो आने वाले पीढ़ी के लिए भी नए कलेवर में थ्री-डाइमेंशनल एममरसिव एक्सपीरियंस के साथ म्यूजियम में चलती रहेगी.