ज्योत्सना
खूंटी
खूंटी लोकसभा के तमाड़ विधानसभा क्षेत्र के परासी इलाके में सोना अयस्क खनन को लेकर जन सुनवाई कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में रूंगटा माइंस लिमिटेड के शीर्ष अधिकारी, पर्यावरण पदाधिकारी, जिला प्रशासन और बड़ी संख्या में ग्रामीण महिला पुरुष उपस्थित थे.
जन सुनवाई कार्यक्रम में दिल्ली से आये रूंगटा माइंस के अधिकारियों ने सोना अयस्क खनन की प्रस्तावित योजना से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत की. रिपोर्ट में बताया गया कि वर्तमान में सोना अयस्क खनन को लेकर कई प्रक्रियाएं पूरी की जाएंगी. सबसे पहले जनता से आम राय लेकर पर्यावरण क्लीयरेंस लिया जाएगा. फॉरेस्ट क्लीयरेंस, खान सुरक्षा मानक समेत अन्य जरूरी प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी. खनन से प्रभावित होने वाले ग्रामीणों को रूंगटा माइंस के अधिकारियों ने बताया कि खनन लीज का क्षेत्र 75.273 हेक्टेयर होगा. प्रभावित होने वाले गांवों में परासी, कुटाचउली और कोठाडीह शामिल हैं. प्रति वर्ष 60006.18 टन सोना अयस्क खनन किया जाएगा. खनन का जीवनकाल 50 वर्ष का होगा. यह भी बताया कि खनन इलाके में बनने वाले गड्ढे को पुनः मिट्टी से भरा जाएगा. वृक्षारोपण भी किया जाएगा. ग्रामीणों की सभी मूलभूत जरूरतों को रूंगटा माइंस पूर्ण करेगी.
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झारखंड राज्य ई.आई. ए. प्राधिकरण ने 5 अप्रैल 2019 के पत्र द्वारा EIA/EMP बनाने के लिए TOR दे दिया है. अयस्क खनन दो तरीकों से की जाएगी, ग्रेविटी सेपरेशन और केमिकल एक्सट्रैक्शन अर्थात रासायनिक निष्कर्षण. पहली पांच वर्षों की अवधि में एक लाख बीस हजार तेईस मीट्रिक टन का उत्पादन किया जाएगा. रूंगटा माइंस और पर्यावरणीय अधिकारियों ने खनन से होने वाले जलवायु परिवर्तन और सामाजिक-आर्थिक हालात का भी जिक्र किया. साथ ही बताया कि रूंगटा माइंस खान सुरक्षा महानिदेशालय के मानदंडों के अनुरूप खनन कार्य करेगी. सोना अयस्क खनन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा.
रूंगटा द्वारा आयोजित जन सुनवाई कार्यक्रम में कई ग्रामीणों ने सहमति के साथ साथ असहमति भी जतायी. आगामी 50 वर्षों तक परासी, कुटाचउली और कोठाडीह गांव की पुनर्वास की क्या व्यवस्था होगी, सामाजिक आर्थिक और जीवनयापन का आधार क्या होगा, इन बिंदुओं पर भी ग्रामीणों ने अपनी राय रखी.