कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने अपनी राज्यसभा सदस्यता और पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. सभापति वेंकैया नायडू ने उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया है. अमेठी पर मजबूत पकड़ रखने वाले संजय सिंह इससे पहले भी कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं. तब उन्होंने पहले जनता दल का और फिर बाद में भाजपा का दामन थामा था. 2019 के लोकसभा चुनाव में सिंह ने भाजपा प्रत्याशी मेनका गांधी के खिलाफ चुपनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा. उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह अमेठी से भाजपा विधायक हैं. वह कल भाजपा में शामिल होंगे.
सिंह को कांग्रेस ने असम से राज्यसभा सांसद बनाया था. अमेठी का नेहरू-गांधी परिवार से गहरा नाता रहा है. 1980 में जब नेहरू-गांधी परिवार के सदस्य ने अमेठी से चुनाव लड़ने का फैसला किया तब उन्होंने संजय गांधी को अपना समर्थन दिया था. अमेठी के पास वाली लोकसभा सीट रायबरेली से उस समय इंदिरा गांधी चुनाव लड़ा करती थी. बाद में जब संजय की जगह राजीव गांधी ने अमेठी से चुनाव लड़ा तो वह उनके दोस्त बन गए.
गांधी परिवार के साथ रिश्ता होने की वजह से उन्हें राजनीति के मैदान में काफी चर्चा मिली. हालांकि 1988 में सिंह ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया और जनता दल में शामिल हो गए. जनता दल के पक्ष में देशवासियों की लहर होने के बावजूद सिंह को फायदा नहीं मिला और वह अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव हार गए. बाद में वह भाजपा में शामिल हो गए और 1998 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान अमेठी से चुनाव जीतने में सफल रहे.
1999 में वह इसी सीट से भाजपा का प्रतिनिधित्व कर रहे थे लेकिन उन्हें राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी ने टक्कर दी और वह परिवार के नाम पर जीत हासिल करने में सफल रहीं. 2003 में सिंह राजीव गांधी की जयंति के मौके पर दोबारा कांग्रेस में शामिल हो गए. 2009 में वह दूसरी बार सुल्तानपुर से लोकसभा सांसद चुने गए.