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जगन्नाथ़ मंदिर से रथ निकलने को तैयार , तैयारियां जोरों पर

by bnnbharat.com
July 3, 2019
in Uncategorized
जगन्नाथ़ मंदिर से रथ निकलने को तैयार , तैयारियां जोरों पर

Ready to get chariot from Jagannath temple, ready preparations

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फलक शमीम

रांची, 3 जुलाई: धुर्वां स्थित जगन्नाथ मंदिर से इस साल 4 जुलाई को रथ यात्रा निकलेंगी । जिसको लेकर तैयारियां जोरों पर है , मंदिर परिसर में रंग रोगन के कामों से लेकर छोटी बड़ी हर चीज़ों को दुरुस्त कर कारीगर अंतिम रूप देने के काम मे जुटे हुए है ।

जग़न्नाथ मंदिर के प्रधान पुजारी ब्रज भूषण मिश्रा ने ‘BNN BHARAT NEWS’ के टीम से ख़ास बात चीत के दौरान बताया कि वर्ष 1691 में पहली बार मंदिर से रथयात्रा निकाली गई थी । जो बदस्तूर जारी है जिसको लेकर तैयारियां अंतिम चरण पर है ।

इस साल 4 जुलाई दिन गुरुवार को रथ यात्रा निकाली जाएगी , आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीया गुरुवार को कई शुभ योग लेकर आया है । इस बार पुष्य नक्षत्र के संयोग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग़, गुरु पुष्य अमृत योग, अमृत सिद्धि योग लेकर आया है। तत्कालिक चंद्रमा अपनी स्वराशि कर्क राशि में होने से सबके लिए शुभ है । आषाढ़ मास शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि चार जुलाई को रथयात्रा का पर्व है। इस बार 3 जुलाई की रात 10 बजकर पांच मिनट 58 सेकेंड से द्वितीया तिथि आरंभ होगी । पुष्य नक्षत्र में चार जुलाई की शाम 7 बजकर 11 मिनट पर द्वितीया तिथि समाप्त होगी।

काशी पंचांग के अनुसार 4 जुलाई को रथयात्रा निकालना उचित बताया गया है । रांची के जग़न्नाथ मंदिर सर्व धर्म समभाव का प्रतीक है । रांची में रथयात्रा का इतिहास भी नागवंशी राजाओं से जुड़ा है। उन्होंने कई भव्य मंदिरों का निर्माण कराया था । बताया जाता है कि 326 साल पहले यहां हर जाति और धर्म के लोग मिल-जुलकर रथयात्रा का आयोजन करते थे । फिलहाल रथयात्रा का आयोजन ट्रस्ट के द्वारा कराया जाता है ।

रथ मंदिर से निकलकर कुछ दूर पर स्थित मौसीबाड़ी ले जाया जाता है ,जिसमें भगवान भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ मौसीबाड़ी जाते है । इसके बाद 10 दिन तक भगवान मौसीबाड़ी में रहेंगे और फिर मुख्य मंदिर में वापस आएंगे । मुख्य मंदिर से मौसीबाड़ी के बीच आधा किलोमीटर की रथयात्रा का सफर डेढ़ घंटे में पूरा होता है। क्योंकि रथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की लंबी कतार होती है । मान्यता है कि भगवान जग़न्नाथ के रथ की रस्सी को खिंचने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

ओडिशा शैली में निर्मित इस मंदिर में पूजा से लेकर भोग चढ़ाने का विधि-विधान भी पुरी जग़न्नाथ मंदिर जैसा ही है। वंही रथयात्रा में मेले के भी आयोजन किया जाता है जिसमें दूर दराज से आये श्रद्धालु आंनद लेते है । मेले में आकर्षण का केंद्र विशाल पहिया नुमा झूला, जिसमें लोग बड़े चाऊ के साथ बैठना पसंद करते है । फिलहाल मेले को लेकर बाहर से मिठाई , खिलौने , बरत्न , चूड़ी आदि दुकानें सज़ चुकी है ।

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