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उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट : ऊंची इमारतें, और ऊंचे अपराधी, कहना मुश्किल ‘इमारत का वास्तविक मालिक कौन’

by bnnbharat.com
July 22, 2019
in समाचार
उत्तर प्रदेश में रियल एस्टेट : ऊंची इमारतें, और ऊंचे अपराधी, कहना मुश्किल ‘इमारत का वास्तविक मालिक कौन’

Real Estate in Uttar Pradesh: High Buildings, and High Criminals, Hard to Say, Who Is The Real Owner Of The Building?

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में एक कहावत है कि प्रत्येक ऊंची इमारत के पीछे एक बड़ा अपराधी है और जितनी ऊंची इमारत है, अपराधी भी उतना ही ऊंचा होता है. प्रदेश में रियल एस्टेट और अपराधियों का गठजोड़ बहुत मजबूत हो गया है. यह कहना मुश्किल है कि किसी इमारत का वास्तविक मालिक कौन है. इस गठजोड़ में राजनीतिज्ञ काफी कुशलता से शामिल हो गए हैं क्योंकि रियल एस्टेट मालिक और अपराधियों के बीच वे कहीं ना कहीं होते हैं.

इसकी कार्यप्रयाणी बिल्कुल सामान्य है. रियल एस्टेट मालिक किसी भूमि को चिह्नित करते हैं और अपराधी उन्हें उस पर कानूनी रूप से या अन्य तरीकों से कब्जा दिलाने में सहायता करते हैं, और राजनेता सरकारी अनुमति का ध्यान रखते हैं. धन जो काला हो या सफेद, उसे नेता और बाहुबलियों के बीच बांटा जाता है, तथा रियल एस्टेट मालिकों को भी इसका उचित हिस्सा मिलता है.

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लखनऊ में न्यू हैदराबाद और महानगर क्षेत्र इसके सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं कि यह गठजोड़ कैसे काम करता है. ट्रांस गोमती क्षेत्र के बीच में स्थित इलाकों पर कभी महलनुमा बंगले थे, जिनमें से ज्यादातर बंगले जर्जर स्थिति में थे. ज्यादातर बंगलों के मालिक वृद्ध दंपत्ति थे, जिनके बेटे विदेशों में बस गए हैं. ऐसे ही मामले इलाहाबाद और कानपुर में पाए गए, लेकिन गठजोड़ इस तंत्र के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने देता है.

नब्बे के दशक की शुरुआत में बंगले गायब होने लगे, उनके मालिक लापता हो गए और ऊंची इमारतें बनने लगीं. रातभर में गायब हुए बंगला मालिकों के बारे में उनके पड़ोसियों ने दबी जुबान में बात की. किसी का मामला दर्ज नहीं होने के कारण पुलिस ने भी आंखें बंद रखी है. इन इमारतों में पुलिस अधिकारियों और नौकरशाहों को भी फ्लैट मिल गए और व्यापार चमक गया.

योगी सरकार ने इस मामले को खोलना शुरू किया और पहला शिकार बने समाजवादी पार्टी (सपा) नेता शारदा प्रताप शुक्ला. सरोजनी नगर में उनके अवैध निर्माण को सबसे पहले नष्ट किया जाना है.

सपा के अन्य नेता भुक्कल नवाब ने मामले की गंभीरता को समझा और कार्रवाई से बचने के लिए तुरंत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए. लेकिन मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के इस मामले में बेरहम होने के कारण उनकी अवैध संपत्तियों को नष्ट करने की चेतावनियां लगातार मिल रही है. अपराधी से राजनेता बने एक व्यक्ति ने समझाया कि कैसे यह गठजोड़ पहले की तरह मजबूत नहीं रहा है.

उन्होंने कहा, “पहले विमुद्रीकरण के कारण बाजार में मंदी आई और उसके बाद खरीदारों को सभी लेन-देनों के लिए आधार और पैन कार्ड अनिवार्य हो गया. इससे पहले लोग अपनी काली कमाई का उपयोग संपत्ति खरीदने में किया करते थे, लेकिन अब वे सोना या हीरा खरीदने का विकल्प अपनाते हैं. इसके अलावा आपको पता नहीं चलेगा कि आदित्यनाथ गठजोड़ को कब तोड़ दें. हम लोग अगले चुनावों तक चुप रहेंगे.”

एक वरिष्ठ नौकरशाह ने भी सहमति जताते हुए कहा कि उनके साले, जो एक बिल्डर हैं, ने उन्हें एक फ्लैट उपहार में दिया था. उन्होंने कहा, “मुझे उस समय आयकर विभाग को समझाने में बहुत परेशानी उठानी पड़ी.”

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