नई दिल्ली:- सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार दिए एक फैसले में सीबीएसई की एक मार्क्स पॉलिसी को खारिज कर दिया है. अब स्टूडेंट्स के पास अपना बेस्ट मार्क्स चुनने का विकल्प रहेगा.
न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) अंतिम परिणाम की घोषणा के लिये प्रतिभागी को अंतिम शैक्षणिक वर्ष में किसी विषय में प्राप्त दो अंकों में से बेहतर को चुन सकेंगे.
बता दें कि, न्यायालय पिछले साल सीबीएसई द्वारा कक्षा 12 के अंकों में सुधार के लिये आयोजित परीक्षा में शामिल हुए कुछ छात्रों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
शीर्ष अदालत ने कहा कि 17 जून, 2021 की नीति के खंड-28 में प्रावधान के बारे में शिकायत की गई है जिसमें कहा गया है कि
‘… इस नीति के अनुसार, बाद की परीक्षा में प्राप्त अंकों को अंतिम माना जाएगा.’
पीठ ने कहा,
‘इस के परिणामस्वरूप, हमें खंड-28 में उल्लेखित उस शर्त विशेष को खारिज करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि बाद की परीक्षा में अर्जित अंकों को अंतिम माना जाएगा.’
न्यायालय ने आगे कहा कि याचिकाकर्ताओं की शिकायत है कि यह शर्त पिछली नीति को हटाकर जोड़ी गई है, जहां एक विषय में एक उम्मीदवार द्वारा प्राप्त किए गए दो अंकों में से बेहतर को परिणाम की अंतिम घोषणा में रखा जाना था.
पीठ ने कहा, ‘यह आपको कैसे प्रभावित करता है? हमें औचित्य दें, ऐसा क्यों संभव नहीं है’
शीर्ष अदालत 11 छात्रों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिन्हें सीबीएसई ने 30:30:40 की मूल्यांकन नीति के आधार पर मूल परिणामों में उत्तीर्ण घोषित किया था और बाद में उन्हें पिछले साल अगस्त-सितंबर में आयोजित सुधार परीक्षा में शामिल होने की अनुमति दी गई थी.
इससे पहले, मामले की सुनवाई करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा था कि सीबीएसई को उन छात्रों की समस्या पर विचार करना चाहिए, जो पिछले साल 12वीं कक्षा में अंकों में सुधार के लिए परीक्षा में शामिल हुए थे लेकिन उन्हें कम अंक मिले, क्योंकि यह उच्च अध्ययन के लिये उन्हें मिले प्रवेश को प्रभावित करेगा. न्यायालय ने कहा था कि सुधार परीक्षा में बैठने वाले छात्रों ने अपने मूल परिणामों के आधार पर प्रवेश लिया है और इसमें कोई खलल नहीं डालना चाहिए.

