Buddha Purnima 2020/ बुद्ध पूर्णिमा जिसे बैसाख पूर्णिमा भी कहा जाता है, 2002 में 7 मई को है. यह दिन पुरे विश्व के लिए अति महत्वपूर्ण है. भगवान बुद्ध का जन्म, उनकी ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण ये तीनों एक ही दिन अर्थात वैशाख पूर्णिमा के दिन ही हुए थे.
इसीलिए इसे बुध पूर्णिमा भी कहा जाता है. ऐसा संयोग पृथवी पर आज तक किसी अन्य महापुरुष के साथ नहीं हुआ है.
अपने मानवतावादी एवं विज्ञानवादी बौद्ध धम्म दर्शन से भगवान बुद्ध दुनिया के सबसे महान महापुरुष है. आज बौद्ध धर्म को मानने वाले विश्व में 180 करोड़ से अधिक लोग है तथा इसे धूमधाम से मनाते है.
सनातन धर्म को मैंने वालों के लिए बुद्ध विष्णु के नौवें अवतार हैं. अतः हिन्दुओं के लिए यह दिन बहुत ही पवित्र माना जाता है.
यह त्यौहार भारत, चीन, नेपाल, सिंगापुर, वियतनाम, थाइलैंड, जापान, कंबोडिया, मलेशिया, श्रीलंका, म्यांमार, इंडोनेशिया, पाकिस्तान तथा विश्व के कई देशों में मनाया जाता है.
बिहार के बोधगया में हिन्दू व बौद्ध धर्मावलंबियों के पवित्र तीर्थ स्थान है. गृह त्यागने के पश्चात सिद्धार्थ(बुद्ध का बचपन का नाम) सत्य की खोज के लिए सात वर्षों तक वन में भटकते रहे.
बोधगया में एक पीपल पेड़ के निचे उन्होंने कठोर तप किया और अंततः वैशाख पूर्णिमा के दिन बोधिवृक्ष के नीचे उन्हें बुद्धत्व ज्ञान की प्राप्ति हुई. तभी से यह दिन बुद्ध पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है.
इस दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है.
हिन्दू धर्म में हर महीने की पूर्णिमा विष्णु भगवान को समर्पित होती है. वैसे तो हर पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान को अत्यंत लाभदायक माना जाता है, लेकिन वैशाख पूर्णिमा का अपना-अलग ही महत्व है. इसका कारण यह बताया जाता है कि इस माह होने वाली पूर्णिमा को सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में और चांद भी अपनी उच्च राशि तुला में होता है. कहते हैं कि बुद्ध पूर्णिमा के दिन किया गया स्नान कई जन्मों के पापों का नाश करता है.
हालांकि इस बार कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के चलते लोग गंगा स्नान नहीं कर पाएंगे. ऐसे में आप घर पर रहकर ही बुद्ध पूर्णिमा की पूजा करें.
बुद्धपूर्णिमा से जुड़ा विज्ञान
इस बार पूर्णिमा पर चांद का आकार अधिक बड़ा और चमकीला दिखाई देगा. क्योंकि 07 मई को साल का आखिरी सुपरमून दिखाई देने वाला है. इस दिन चांद धरती के सबसे करब होते है. इस दूरी को विज्ञान की भाषा में एपोजी कहा जाता है. वहीं, जब चंद्रमा और पृथ्वी सूरज का चक्कर लगाते हुए एक-दूसरे से सबसे करीब आ जाते हैं, तब इनके बीच की दूरी 3,56,500 किमी होती है.
क्या है पेरिजी
जिस दिन और जिस समय चांद और धरती एक-दूसरे के सबसे करीब होते हैं, यानी पेरिजी में होते हैं, उसी दिन सुपरमून दिखाई देता है. सुपरमून को सुपर फ्लावर मून भी कहा जाता है. चांद पृथ्वी के सबसे करीब होने के कारण वह ज्यादा चमकीला और ज्यादा बड़ा दिखाई देता है. 7 मई के बाद आप सुपर पिंक मून को 27 अप्रैल 2021 में देख पायेंगे. नासा के अनुसार, सुपर फ्लावर मून भारतीय समयानुसार गुरुवार 7 मई की शाम 4.15 बजे अपने पूर्ण प्रभाव में दिखाई देगा. इसे पेरिजी कहते हैं.
बुद्ध पूर्णिमा कब है
हिन्दू पंचांग के अनुसार वैशाख महीने की पूर्णिमा (Vaishakha Purnima) को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार बुद्ध पूर्णिमा हर साल अप्रैल या मई महीने में आती है. इस बार बुद्ध पूर्णिमा 7 मई को है.
बुद्ध पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त
बुद्ध पूर्णिमा की तिथि: 7 मई 2020
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 मई 2020 को शाम 7 बजकर 44 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 मई 2020 को शाम 04 बजकर 14 मिनट तक
बौद्ध धर्म के लोग ऐसे मनाते हैं बुद्ध जयंती.
भगवान बुद्ध ही बौद्ध धर्म के संस्थापक हैं. यह बुद्ध अनुयायियों के लिए सबसे बड़ा पर्व है. इस दिन अनेक प्रकार के समारोह आयोजित किए गए हैं. अलग-अलग देशों में वहां के रीति- रिवाजों और संस्कृति के अनुसार कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. श्रीलंका के लोग इस दिन को ‘वेसाक’ (Vesak) उत्सव के रूप में मनाते हैं जो ‘वैशाख’ शब्द का अपभ्रंश है.
बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी मान्यताएं
– माना जाता है कि वैशाख की पूर्णिमा को ही भगवान विष्णु ने अपने नौवें अवतार के रूप में जन्म लिया.
– मान्यता है कि भगवान कृष्ण के बचपन के दोस्त सुदामा वैशाख पूर्णिमा के दिन ही उनसे मिलने पहुंचे थे. इसी दौरान जब दोनों दोस्त साथ बैठे तब कृष्ण ने सुदामा को सत्यविनायक व्रत का विधान बताया था. सुदामा ने इस व्रत को विधिवत किया और उनकी गरीबी नष्ट हो गई.
– इस दिन धर्मराज की पूजा करने की भी मान्यता है. कहते हैं कि सत्यविनायक व्रत से धर्मराज खुश होते हैं. माना जाता है कि धर्मराज मृत्यु के देवता हैं इसलिए उनके प्रसन्न होने से अकाल मौत का डर कम हो जाता है.
बुद्ध पूर्णिमा को क्या करना चाहिए
– सूर्योदय से पहले उठकर घर की साफ-सफाई करें.
– गंगा में स्नान करें (लॉक डाउन में तो गंगा स्नान संभव नहीं है पर मन चंगा तो कठौत में गंगा अर्थात स्नान क्र शरीर पर गंगा जल का छिड़काव करलें )
– घर में विष्णु जी की दीपक जलाकर पूजा करें।
– घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं और गंगाजल छिड़कें.
– बोधिवृक्ष के आस-पास दीपक जलाएं और उसकी जड़ों में दूध विसर्जित कर फूल चढ़ाएं.
– गरीबों को भोजन और कपड़े दान करें.
– अगर आपके घर में कोई पक्षी हो तो आज के दिन उन्हें आज़ाद करें.
– रोशनी ढलने के बाद उगते चंद्रमा को जल अर्पित करें.
बुद्ध पूर्णिमा को क्या नहीं करना चाहिए
– बुद्ध पूर्णिमा के दिन मांस ना खाएं.
– घर में किसी भी तरह का कलह ना करें
– किसी को भी अपशब्द ना कहें.
– झूठ बोलने से बचें.