रांचीः झारखंड हाई कोर्ट में रिम्स की लचर व्यवस्था पर स्वत: संज्ञान लिए गए मामले पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन एवं जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने रांची के सिविल सर्जन के गलत बयानी पर नाराजगी जताई.
साथ ही मौखिक टिप्पणी करते हुए सख्त हिदायत दी कि अदालत के समक्ष भूल से भी गलत बयानी न करें. यह अपराध की श्रेणी में आता है.
अदालत ने कहा कि सिविल सर्जन की कार्यप्रणाली के चलते चीफ जस्टिस को कोरोना संक्रमण के खतरे में डाल दिया है.
अदालत ने कहा कि 5 अप्रैल को उनके आवास के कर्मियों का सैंपल लिया गया था. लेकिन 9 अप्रैल को जांच के लिए भेजा गया है. अदालत इस बात को लेकर भी नाराज था कि सिविल सर्जन ने कहा कि रिम्स सैम्पल नहीं ले रहा है. जबकि रिम्स ने कहा कि उनको सैंपल नहीं ही भेजा गया है.
सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य सचिव, रिम्स निदेशक भी वीसी के माध्यम से उपस्थित रहे. अदालत ने पांच अप्रैल से 9 अप्रैल तक कितने सैम्पल लिए गए और कितने को जांच के लिए कहां-कहां भेजा गया है. शपथपत्र के माध्यम से इसका चार्ट मांगा है. मामले में अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी.
इस दौरान अदालत में शवों के अंतिम संस्कार में लंबा इंतजार व विद्युत शवदाह गृह में खराबी को लेकर रांची के उपायुक्त, रांची नगर निगम के सहायक नगर आयुक्त सहित अन्य सक्षम अधिकारियों को भी कल सुनवाई के दौरान उपस्थित रहने का निर्देश दिया है.
अदालत को बताया गया कि अब रांची समेत राज्य के अन्य अस्पतालों में कोविड मरीज के लिए बेड की जानकारी वेबसाइट उपलब्ध कराने की व्यवस्था की जाएगी.

