रांची : झारखंड में चल रही एक लाख करोड़ की सरकारी परियोजनाओं पर बालू उठाव का संकट उत्पन्न हो गया है. भवन निमार्ण, ग्रामीण विकास, नगर विकास, पथ निमार्ण, जल संसाधन, कृषि विभाग की योजनाएं बालू की आपूर्ति कम होने से सुस्त हो गयी हैं. जानकारी के अनुसार नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल (एनजीटी) ने 15 अक्तूबर तक राज्य के सभी 653 बालू घाटों से बालू के उठाव पर रोक लगा दी है. नतीजतन झारखंड राज्य खनिज विकास निगम को राज्य के नदियों से बालू उठाव में भारी परेशानी हो रही है.
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निगम के प्रबंध निदेशक अबू बकर सिद्दीकी ने बताया कि एनजीटी के आदेश का अनुपालन करना हमारी मजबूरी है. राज्य सरकार ने वैकल्पिक व्यवस्था के तहत स्टाकिस्टों के जरिये बालू की आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है. राज्य भर में बालू के 75 स्टॉकिस्ट हैं, जो सरकारी परियोजनाओं से लेकर निजी जरूरतों को पूरा कर रहे हैं. सिद्दीकी ने बताया कि सरकारी योजनाओं के लिए बालू की कमी न हो, इसके लिए विशेष निर्देश भी दिये गये हैं. उन्होंने कहा कि निगम के स्तर से भी बालू उठाव की स्थिति पर भी नजर रखी जाती है. हर माह बालू के स्टॉक का भी जायजा लिया जाता है.
सबसे अधिक योजनाएं भवन निर्माण विभाग की :
राज्य भर में भवन निर्माण की सबसे अधिक योजनाएं चल रही हैं. 57 हजार करोड़ से अधिक की योजनाएं विभिन्न जिलों में चल रही हैं. इसमें राजधानी रांची में बन रहे नये विधानसभा भवन, रविंद्र भवन, झारखंड हाईकोर्ट का नया भवन, स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट, सभी अंचलों के भवन, जिला परिषद के भवन प्रमुख हैं. इसी तरह पथ निर्माण विभाग की पांच हजार करोड़ की परियोजनाएं भी चल रही हैं. इसमें कांटाटोली फ्लाईओवर, एनएच-75, एनएच-33 और अन्य महत्वपूर्ण पथ शामिल हैं. राजधानी रांची का सिवरेज-ड्रेनेज परियोजना में भी बालू की कमी आड़े आ रही है.