ब्यूरो चीफ
रांची
केंद्र सरकार का प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स का संशोधित रूप अब झारखंड में भी लागू होगा. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स (एमेंडमेंट) 2018 घोषित किया जा चुका है. इससे अब प्लास्टिक निर्माताओं को प्लास्टिक के उत्पादन का रीसाइक्लिंग करना जरूरी होगा. केंद्र सरकार ने प्लास्टिक वेस्ट (मैनेजमेंट एंड हैंडलिंग) रूल्स में बदलाव किया है. इसे सभी राज्यों को सख्ती से लागू करने की हिदायतें दी गयी हैं.
नयी नियमावली में प्लास्टिक वेस्ट की व्याख्या की गयी है. प्लास्टिक में पोलीइथाइलीन, हाई डेंसिटी पोलीइथाईलीन, वीनाइल, लो डेंसिटी पोलीइथाईलीन, प्रोपाइलीन, पोलीइथाईरीन, रेजींस, पोलीकारबोनेट और अन्य शामिल किये गये हैं. इसकी फूड पैकेजिंग, फार्माश्युटिकल, कॉस्मेटिक्स, इलेक्ट्रिकल गुड्स , फूड स्टोरेज प्लास्टिक की कैटेगरी भी परिभाषित की गयी है.
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केंद्र सरकार का मानना है कि प्रत्येक वर्ष भारत में 9.46 मिलियन टन प्लास्टिक वेस्ट का उत्पादन होता है. भारत में सभी राज्यों में 25940 टन प्लास्टिक कचरे का उत्पादन होता है. कुल कचरे में से 94 प्रतिशत प्लास्टिक कचरे ऐसे होते हैं, जिसका रीसाइकिल किया जा सकता है. इन कचरों में थर्मोप्लास्टिक भी होते हैं, जो प्लास्टिक के पेट जार, हाई डेंसिटी पाइप, लो डेंसिटी प्लास्टिक, पीवीसी के उत्पाद रहते हैं. इनका रीसाइकिल करना अब जरूरी किया गया है. छह प्रतिशत वैसे कचरे हैं, जिनके लिए नन रीसाइक्लेबल प्लास्टिक वेस्ट प्लाज्मा पाइरोलाइसीस तकनीक (पीपीटी) का इस्तेमाल करना जरूरी कर दिया गया है.
नगर निगम और पंचायत स्तर पर हो कचरे का उठाव
केंद्र सरकार ने कचरे का उठाव करने के लिए पंचायत स्तर से लेकर जिम्मेवारी सौंपने को कहा है. पंचायतों से लेकर शहरों तक प्लास्टिक के कचरे के बारे में जागरुकता अभियान चलाने को भी कहा गया है. राज्यों के प्रदूषण पर्षद को प्लास्टिक के कचरे का निष्पादन और उत्पादन इकाईयों से बैठकें करने के आदेश भी दिये गये हैं.