नई दिल्ली. साल 2020 के दौरान भारत के 40 उद्यमी, अरबपतियों की सूची में जुड़ गये. इन्हें मिलाकर भारत के अब कुल 177 लोग अरबपतियों की सूची में शामिल हो गये हैं. एक रिपोर्ट में मंगलवार को यह कहा गया है. दुनिया के धनी लोगों की हुरुन ग्लोबल की इस लिस्ट में कहा गया है कि वर्ष 2020 में भारत के 40 लोग अरबपतियों की सूची में पहुंच गये. रिलायंस इंडस्ट्रीज के प्रमुख मुकेश अंबानी सबसे अमीर भारतीय हैं, जो दुनिया के अरबपतियों की सूची में एक पायदान चढ़कर आठवें नंबर पर पहुंच गये.
>> गुजरात के उद्योगपति गौतम अदाणी की संपत्ति वर्ष 2020 में 32 अरब डालर तक पहुंच गई और दुनिया के अमीरों की सूची में उनका स्थान 20 पायदान चढ़कर 48 नंबर पर पहुंच गया. अब वह दूसरे सबसे अमीर भारतीय बन गये हैं.
>> उनके भाई विनोद की संपत्ति 128 प्रतिशत बढ़कर 9.8 अरब डालर हो गई.
>> आईटी कंपनी HCL के शिव नाडर भारत के अरबपतियों की सूची में 27 अरब डालर की संपत्ति के साथ तीसरे नंबर पर रहे.>> महिन्द्रा समूह के आनंद महिन्द्रा की संपत्ति में भी 100 प्रतिशत वृद्धि हुई है और यह 2.4 अरब डालर हो गई.
>> बॉयकोन की किरण मजूमदार की संपत्ति 41 प्रतिशत बढ़कर 4.8 अरब डालर हो गई.
>> वहीं पतंजलि आयुर्वेद के आचार्य बालकृष्ण की संपत्ति इस दौरान 32 प्रतिशत घटकर 3.6 अरब डालर रह गई.
>> रिपोर्ट के मुताबिक साफ्टवेयर कंपनी जैडक्लेर के जय चौधरी की संपत्ति इस दौरान 274 प्रतिशत बढ़कर 13 अरब डालर हो गई.
>> जबकि बायजू के रविन्द्रन और परिवार की संपत्ति 100 प्रतिशत बढ़कर 2.8 अरब डालर पर पहुंच गई.
>> विविध क्षेत्रों में कारोबार करने वाले महिन्द्रा समूह के प्रमुख आनंद महिन्द्रा और परिवार की संपत्ति भी इस दौरान दोगुनी होकर 2.4 अरब डालर हो गई.
>> वहीं बायोकॉन की प्रमुख किरण मजूमदार शा की संपत्ति 41 प्रतिशत बढ़कर 4.8 अरब डालर गई.
>> गोदरेज की स्मिता वी क्रिष्णा की संपत्ति 4.7 अरब डालर और लुपिन की मंजू गुप्ता की संपत्ति 3.3 अरब डालर पर पहुंच गई.
वैश्विक स्तर पर यदि बात की जाये तो टेस्ला के एलोन मुस्क 197 अरब डालर की संपत्ति के साथ सबसे शीर्ष पर रहे हैं. इसके बाद अमेजन के जैफ बेजोस का स्थान रहा है. उनकी संपत्ति 189 अरब डालर रही है. फ्रांस के फ्रेंचमैन बनार्ड अमाल्ट की संपत्ति 114 अरब डालर रही है. हुरुन इंडिया के प्रबंध निदेशक और मुख्य शोधकर्ता अनास रहमान जुनैद ने कहा कि भारत में संपत्ति का सृजन चक्रीय अथवा परंपरागत उद्योगों पर आधारित है जबकि अमेरिका और चीन में यह प्रौघोगिकी उद्योग पर आधारित है.